खुशखबरी: रूद्रप्रयाग मे बनेगा उत्तराखंड का पहला नेचर कैनोपी वॉक वे…जानिए इस प्रोजेक्ट की ख़ास बातें…

उत्तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी जिला रुद्रप्रयाग में कई स्थल जैसे- केदारनाथ-तुंगनाथ धाम में पर्यटक जल्द ही प्रकृति को करीब से निहारने का आनंद ले सकेंगे

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Devbhumi first canopy walkway to be built in rudraprayag

जर्मनी के बबेरियन फॉरेस्ट नेशनल पार्क में दुनिया का सबसे बड़ा नेचर वॉकवे है, जो 1300 मीटर लंबा और जमीन से 25 मीटर ऊंचाई पर बना है।जबकि भारत में कर्नाटक राज्य के कुवेशी गांव में देश का पहला नेचर वाॅकवे बना है।यह जमीन से 30 फीट ऊंचा है और 240 मीटर लंबा है, जिस पर एक समय में 10 लोग चल सकते हैं।यहां पहुंचने वाले पर्यटक वन्य जीवों के साथ जंगल की खूबसूरती का आंनद लेते है।आप यह सोच रहे होंगे कि आज हम आपको इन सब के बारे में क बता रहे है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जल्द ही उत्तरखंड में पहला नेचर कैनोपी वॉक-वे बनने जा रहा है। जी हां, मिनी स्विटजरलैंड के नाम से प्रसिद्ध नगर चोपता स्वतमिनी से लगे बनियाकुंड के जंगल में इसका निर्माण होगा। यानि अब पर्यटक. यह भी पड़िए:खूस्खबरीअब इंडियन आर्मी में इन राज्यों में निकली भर्ती, 10वी,12वी पास करे आवेदन…

उत्तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी जिला रुद्रप्रयाग में कई स्थल जैसे- केदारनाथ-तुंगनाथ धाम में पर्यटक जल्द ही प्रकृति को करीब से निहारने का आनंद ले सकेंगे। यह कैनोपी जिस जगह बनाने की योजना है, उस वन क्षेत्र में बांज, बुरांश और अन्य प्रजाति के 60 से 70 वर्ष पुराने पेड़ मौजूद हैं।इसलिए लिए इस जगह को चुना गया है। यह 20 से 25 फीट की ऊंचाई पर बनाया जाएगा,जहां से पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य देखने के साथ-साथ वन्यजीव एवं पक्षियों को देखने का मज़ा उठा सकेंगे।यह भी पड़िए:मिलिट्री में सिलेक्शन नहीं हो पाने के कारण आरोपी पैरा कमांडो की ड्रेस में घूमता था,आर्मी की खुफिया टीम ने दबोच लिया..

पहले चरण में यहां पेड़ों पर 80 से 100 मीटर लंबी और ढाई फीट चौड़ी कैनोपी तैयार की जाएगी, जिसमे एक समय में 5 से6 पर्यटक चल सकेंगे। यह कैनोपी घुमावदार होगी।
दूसरे चरण में वन क्षेत्र के कुछ स्थानों पर तीन से चार पेड़ों पर 5 से 10 मीटर लंबी वर्गाकार या तिकोनी कैनोपी तैयार की जाएगी, जिसका उपयोग व्यूं प्वाइंट के रूप में किया जाएगा।कैनोपी वॉक के देखरेख की जिम्मेदारी प्रभाग द्वारा रेंज अधिकारियों की देखरेख में ईको डेवलपमेंट कमेटी को दी जाएगी।

इस कदम से प्रशासन इको टूरिज्म को तो बढ़ावा से ही रही है , इसके साथ साथ पर्यावरण और अन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैलाने का उद्देश्य रखती है इसलिए प्रशासन अब जंगलों को ईको फ्रेंडली बनाने की तैयारी में जुटा है।

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