जैसा कि हम सभी जानते है सर्दियों के मौसम में बर्फबारी आम बात है।उत्तराखंड के कई हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी इस बार जनवरी से शुरू हो चुकी है।कुछ दिन पहले पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी और धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी भारी बर्फबारी हुई जिससे वहां का तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है। और वहीं का नहीं बल्कि कई इसी और भी जगह है जहां यह नज़ारा देखने को मिल रहा है।लेकिन इस बर्फबारी के कारण वन्य जीवों को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।और इस बार भी उन्हे मौसम के द्वारा दी हुई कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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करीब पंद्रह दिन से लगातार 6 से अधिक बार बर्फबारी हो चुकी है।इसकी वजह से ठंड बढ़ चुकी है और हिमालयी क्षेत्रों में चारों और बर्फ जम चुकी है यहां तक कि जलस्रोत भी जम चुके है जिसके कारण वन्यजीव जैसे मोनाल पक्षी,ब्लू शीप,हिमालयन थार,कस्तूरी मृग जैसे अन्य पक्षी लगभग चार हजार फीट नीचे आकर घाटी के जंगलों में पहुंच चुके है।इनके लिए अब भोजन के साथ साथ पानी की समस्या भी खड़ी हो चुकी है। स्थानीय लोगों के जानकारी के मुताबिक इन्हें अलग-अलग झुंड में दारमा वैली के साथ स्यूनी, खलिया,मपांग क्षेत्र के 9 से साढ़े 10 हजार फीट तक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के जंगलों में देखा गया है।भोजन और जल की समस्या के साथ साथ अब इन्हे शिकारियों का भी खतरा है क्योंकि अब शिकारी भी सक्रिय हो गए है।
संखधूरा,बुंगलिंग,चौदास,सरमोली,कजवंती,दर जैसे कई जंगलों में अवैध शिकारी आगजनी के चुके है। यानि वन्य जीवों के लिए बहुत सी चुनौतियां खड़ी हो चुकी है। मौसम के साथ साथ उन पर शिकारियों का खतरा भी मंडरा रहा है।
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