उत्तराखंड : यहां प्रेमी के साथ मिलकर बहु ने सास को मार डाला,मिली उम्रकैद..

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In Pithoragarh woman killed their mother in law

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में पांच साल पहले यहां डीडीहाट में एक बहू ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपनी बुजुर्ग सास की बेरहमी से हत्या कर दी थी। और इस मामले में कोर्ट ने आरोपी बहू और प्रेमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बताया जा रहा है की, इस मामले का सबसे दुखद पहलू ये है कि, आरोपी महिला की 5 साल की एक बेटी है, जिसके सामने अब पालन-पोषण का संकट बना हुआ है। वहीं न्यायालय ने बच्ची के पालन-पोषण और शिक्षा के लिए सरकार से उचित व्यवस्था करने को भी कहा है।

आपको बता दें की, डीडीहाट में एक गांव है मालाझूला में तनूजा नाम की बहु ने अपनी सास खिमुली देवी के साथ रहती थी। तनूजा का सेना में कार्यरत प्रदीप सिंह से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। आपको बता दें की, जून माह में पांच साल पहले तनूजा अपनी सास खिमुली देवी के साथ धान की गुड़ाई करने तल्ला तोक गांव में गई थी, जिसके बीच उसका प्रेमी प्रदीप सिंह भी वहां पहुंच गया। वहीं उसकी सास उन दोनों के संबंधों के बारे में जानती थी। घटना वाले दिन भी उसने बहू और प्रदीप की प्रेम करते हुए देखा और उसके बाद सास ने तनूजा को समझाया, लेकिन वो नही समझी और प्रेमी के प्यार में डूबी बहू ने प्रेमी संग मिलकर सास के सिर पर धारदार हथियार से वार दिया। और ये ही नही उन्होंने हत्या के बाद शव को गधेरे में झाड़ियों में छिपा दिया।

शाम को बहू जब घर लौटी और कहा कि सास किसी के घर पर रुक गई है। वहीं अगले दिन ही तनूजा घास लेने के बहाने घर से बाहर निकली और वहां से फरार हो गई। खिमुली देवी के घर नहीं लौटने पर तनूजा के जेठ और जेठानी उनका पता लगाने गए तो उसकी कोई खबर नहीं मिली। उसके बाद परिवारवालों ने राजस्व पुलिस को सूचना दी, और सास का शव खोजते – खोजते गधेरे के पास मिला। बहु अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी लेकिन उसे राजस्व पुलिस ने बरम में पकड़ लिया, और उस वक्त तनूजा प्रेग्नेंट थी।

इस मामले में सत्र न्यायाधीश डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ला ने फैसला लिया है की, आरोपी प्रदीप सिंह और बहु तनूजा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रदीप सिंह पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड और तनूजा देवी पर 5 हजार का अर्थदंड लगाया गया। वहीं इस पूरे मामले में न्यायालय ने ये भी कहा कि, इस मामले में वास्तविक पीड़ित तनूजा की मासूम बेटी है, जो अभी सिर्फ 4 – 5 साल की है। कोर्ट ने सरकार से बच्ची के पालन-पोषण और शिक्षा की उचित व्यवस्था करने को भी कहा है।

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