उत्तराखंड: ये किसी से छुपा नहीं है कि भिक्षावृत्ति के उदाहरण अक्सर सड़क किनारे,धार्मिक स्थलों के आस-पास या चौक-चौराहों पर दिख जाते हैं। एक संजीदा नागरिक के रूप में आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि क्यों भीख मांग रहे ये लोग अपनी विवशता के कारण ऐसी हालत में हैं। इस बात को हर कोई सोचता जरूर है लेकिन कोई इस बात की और ध्यान नहीं देता।
इस बात पर ध्यान देकर कुंभ मेला पुलिस ने भिक्षुकों का जिम्मा उठा कर भिक्षा नहीं शिक्षा का एक नया अभियान चलाया है।जो डीजीपी अशोक कुमार और संजय गुनियाल के नेतृत्व में चलाई जा रही है।इनके साथ-साथ बहुत से अन्य कार्यकर्ता भी इनके इस अभियान में साथ दे रहे है।यह समाज के लिए एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।उन्होंने बहुत से जरूरत मंद भिक्षुको को ढूंढकर उन्हे मनिन्यायलय से रिमांड प्राप्त करवाई।साथ ही उन्हे सैनिटाइज कर कोरोना से सम्बंधित रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाने का आदेश भी दिया है।इसी के साथ साथ सलूं से वोलांइट्र हायर एक्सपर्ट को बुला उनकी शेविंग, हेयर कटिंग की गई।उन्हे नहलाया गया और आईईटीसी कंपनी द्वारा उन्हे गरम कम्बल, कपड़े और जरूरत की चीजे दान की गई।
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उन्हे ग्रह रोशनाबाद भेजकर समाज कल्याण द्वारा भोजन करवाया गया।जिसके बाद उनकी प्रतिभा क्षमता एवं काबिलियत के ऊपर उन सभी भीक्षुको के साथ चर्चा की गई।ताकि वे अपना जीवन पूरे सम्मान और स्वाभिमान के साथ दोबारा जी सके।कुंभ मेला पुलिस के हर कार्यकर्ता के ये भिक्षुक शुक्रगुजार है।वे उनका दिल से धुनवाद कर नई आशा के साथ अपना नया जीवन शुरू करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से तैयार है।