मिशाल, बागेश्वर की ममता कार्की ने 42 की उम्र में पास की UKPSC परीक्षा, बनी PCS अधिकारी, परिवार संभालने के साथ पूरा किया सपना

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Mamta Karki of Bageshwar passed the UKPSC exam at the age of 42 and became a PCS officer
Mamta Karki of Bageshwar passed the UKPSC exam at the age of 42 and became a PCS officer (Image Source: Social Media)

बागेश्वर जिले के कपकोट की ममता कार्की ने यह साबित कर दिया है कि पढ़ाई और शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती। 42 साल की उम्र में उन्होंने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) की परीक्षा पास कर ली है, जो उनके लिए आखिरी मौका भी था।ममता ने दस साल तक घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के बाद, जब उनके बच्चे बड़े हो गए, तो उन्होंने एक बार फिर अपने राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया। उन्होंने कड़ी मेहनत की और UKPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की।

ममता की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए गर्व की बात है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए उम्र को एक बाधा मानते हैं। ममता ने साबित कर दिया है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और मेहनत है, तो आप किसी भी उम्र में अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

बागेश्वर जिले की बेटी ममता कार्की ने अपनी मेहनत और लगन से एक नया मुकाम हासिल किया है। उन्हें हाल ही में PCS 2021 के तहत BDO पद पर चुना गया है। ममता की शिक्षा हल्द्वानी के भारतीय बाल विद्या मंदिर से शुरू हुई, जहां उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जीजीआईसी हल्द्वानी से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और पंतनगर यूनिवर्सिटी से बी.टेक किया। उन्होंने दिल्ली के TERI यूनिवर्सिटी से रिन्यूएबल एनर्जी में एम.टेक भी किया।

ममता ने पहले भी 2005 में लोक सेवा आयोग से प्रोफेसर बनी थीं और कई वर्षों तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाया। लेकिन 2013 में उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश और परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए नौकरी छोड़ दी। इसके बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और कुछ नया करने का हौसला बनाए रखा। ममता की यह उपलब्धि एक प्रेरणा है कि अगर आप अपने लक्ष्यों पर दृढ़ रहते हैं, तो आप किसी भी उम्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

ममता कार्की ने अपने सरकारी नौकरी छोड़ने के कारण के बारे में बताया कि अक्सर महिलाओं को अपने करियर और घर-परिवार के बीच संतुलन बिठाना मुश्किल हो जाता है। जब उनके बच्चों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बच्चों की परवरिश के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी। उन्होंने साबित किया कि करियर को थोड़े समय के लिए रोका जा सकता है, लेकिन उसे बाद में फिर से शुरू किया जा सकता है।

ममता की यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने करियर और घर-परिवार के बीच संतुलन बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने साबित किया है कि अगर आप अपने लक्ष्यों पर दृढ़ रहते हैं, तो आप किसी भी उम्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

ममता कार्की ने महिलाओं को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि शादी के बाद महिलाएं अक्सर घर और बच्चों की देखभाल में इतनी उलझ जाती हैं कि अपने करियर को भूल जाती हैं। उन्होंने महिलाओं और युवतियों को सलाह दी कि वे अपनी पढ़ाई-लिखाई जारी रखें और शादी से पहले अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करें। ममता ने लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया और कहा कि शादी के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और एक संतुष्ट जीवन जी सकें।

ममता कार्की की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। उन्होंने कहा कि असफलता से निराश न होना चाहिए, बल्कि ईमानदारी से आत्म-विश्लेषण करना चाहिए और अपनी कमजोरियों पर काम करना चाहिए। ममता ने कहा कि छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर लगातार मेहनत करने से एक दिन सफलता जरूर मिलती है।

ममता की सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता, सास-ससुर और पति को दिया है। उनके पति जितेंद्र कार्की बीएचईएल (BHEL) हैदराबाद में पोस्टेड हैं, और वर्तमान में ममता अपने परिवार के साथ हैदराबाद में ही रह रही हैं। ममता की यह प्रेरणादायक कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण है, जो जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखती हैं।

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