
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन बहुत ही कठिन और संघर्षपूर्ण होता है, जहां न तो जीवन के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं और न ही अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती हे। वहीं पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण एक बेहद दुखद घटना घटी, जिसमें नवजात शिशु और प्रसूता की मौत हो गई। रेफर करने के बजाय उनकी जान चली गई।
इस घटना के बाद लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट की रैतोला नागदुना चौरपाल निवासी 29 वर्षीय कमला देवी पत्नी रविंद्र सिंह को सोमवार की दोपहर करीब 1:30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।
इसके बाद कमला के परिवार के सदस्य उन्हें तत्काल गंगोलीहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां डॉक्टरों ने प्रसव नहीं होने के कारण उन्हें उच्च स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र में रेफर कर दिया। इसी दौरान महिला की स्थिति खराब होने लगी और उन्हें गंगोलीहाट के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनका प्रसव हुआ, लेकिन उन्होंने एक मृत नवजात शिशु को जन्म दिया। इसके बाद महिला की स्थिति और भी बिगड़ गई और अंततः उन्होंने भी दम तोड़ दिया।
वहीं महिला के पति ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण उनकी पत्नी और बच्चे की मौत हुई है और उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। मंगलवार को अस्पताल पहुंचे लोगों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य कर्मियों ने समय पर उचित कार्रवाई नहीं की, जिससे पीड़िता की जान चली गई। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों ने सामान्य प्रसव की बात कहकर पीड़िता को समय पर रेफर नहीं किया, जो एक बड़ी लापरवाही थी।