सरकार यह दावा कर रही है कि आने वाला वक्त उत्तराखंड राज्य का होगा. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून की सड़क और इमारतें चमकाई जा रही है. मगर अभी भी पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बहुत ही ज्यादा बुरी है. इसी बुरी स्वास्थ्य व्यवस्था की शिकार उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा के कपकोट की रहने वाली 35 वर्षीय सीता देवी बनी. 8 दिन तक सीता देवी के पति खून का इंतजाम करने के लिए इधर-उधर भटकते रहे.
बेस अस्पताल से 7 किमी दूर जिला अस्पताल के लगातार चक्कर काटते रहे. मगर उनकी सारी कोशिशें के बावजूद भी सीता को बचाया न जा सका. सीता प्रेग्नेंट थी. प्रसव पीड़ा होने पर डॉक्टरों ने उसे अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया क्योंकि सीता का केस थोड़ा जटिल था. दिनांक 20 अक्टूबर को सीता की डिलीवरी ऑपरेशन के द्वारा की गई.
सीता ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया,मगर उसकी खुद की हालत बिगड़ती चली गई. मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी तो नहीं थी मगर वहां ब्लड बैंक नहीं था. इस वजह से सीता के पति भवन को मेडिकल कॉलेज से लगभग 7 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल के चक्कर खून के लिए काटने पड़ रहे थे. भुवन नहीं सीता को बचाने के लिए सब कुछ किया मगर उसे बचा न सका.
दिनांक 28 अक्टूबर को सीता की मृत्यु हो गई. अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज की बात करें तो यहां 20 महीने बाद भी एक अदद ब्लड बैंक नहीं खुल पाया है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश के बावजूद अस्पताल में जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रहीं. सीता के केस के बारे में डॉक्टरों का यह कहना है कि ऑपरेशन के बाद सीता की ब्लीडिंग रुक ही नहीं पाई.
सीता को 8 दिन के अंदर लगभग 6 यूनिट खून चढ़ा दिया गया था. मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक की शुरुआत करने की बारे में प्रबंधन का यह कहना है कि इस विषय के बारे में शासन से पत्राचार किया जा चुका है. मगर नेता सिर्फ आश्वासन दे दिया करते हैं और इसका कामयाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है.