दशरथ मांझी का नाम तो आज पूरा भारत जानता ही है। उन्हें माउंटेन मैन के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन अल्मोड़ा जे धामस गाँव में भी एक व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्हें उनके गाँव वाले माउंटेन मैन के नाम से बुलाते हैं। उस व्यक्ति का नाम रणजीत सिंह है। दरअसल कोरोना काल में रणजीत ने अपनी नौकरी गवां दी थी। जिसके बाद उन्होंने खेती करने के लिए पहाड़ तोड़कर सीढ़ीनुमा खेत तैयार किये। आपको बता दें, रणजीत दिल्ली में एक एमएनसी कंपनी में काम करते थे। जिसके बाद लॉकडाउन में उनकी नौकरी छूट गयी। फिर उन्हीने निश्चय किया कि वह कपङे गाँव वापस जाकर खेती शुरू करेंगे। लेकिन जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि पहाड़ी इलाकों में खेती करना काफी कठिन है।
यहाँ किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कभी पानी की कमी तो कभी जानवरों का खतरा हमेशा बना ही रहता है। इन सब के बावजूद भी रणजीत ने खेती करने की ठानी। रणजीत के ओएस कुछ जमीन जरूर थी लेकिन वह खेती करने के किये पर्याप्त नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने रिश्तेदारों से खेती करने के लिए कुछ जमीन उधार ली। लेकिन वह जमीन नहीं थी बल्कि पहाड़ था। उस जमीन पर खेती करना लगभग असंभव था। लेकिन रणजीत ने हार नहीं मानी और उन्होंने पहाड़ तोड़ कर सीढ़ीनुमा खेत बनाने की ठान ली थी।
लोग रणजीत का मजाक बनाने लगे कि वह ऐसा नहीं कर सकते। उनके अनुसार सीढ़ीनुमा खेत बनाना नामुमकिन था। लेकिन रणजीत का मनोबल कभी नहीं टूटा और न ही उन्होंने कभी हार मानी। रणजीत ने खेती करने के लिए ट्रेनिंग भी ली। जब काफी समय तक ऐसा चलता रहा तो गाँव के लोग रणजीत के हौसले से प्रेरित हुए और उन्होंने रणजीत की सहायता करनी शुरू कर दी। जिसके बाद गाँव वालों की मदद से रणजीत ने आखिरकार सीढ़ीनुमा खेत तैयार कर ही दिया। अब वह इन खेतों में अन्य प्रकार की सब्ज़ियों का उत्पादन कर रहे हैं। इसके साथ साथ मशरूम, सेब और केसर जैसे महँगे उत्पादनों की भी खेती कर रहे हैं। दशरथ मांझी की तरह रणजीत ने भी अपना जौहर दिखाया और अब वह गाँव की तस्वीर बदलने में जुट गए। उन्हें देखकर गाँव के युवा लोग उनसे काफी प्रभावित हो रहे हैं।