आशा और गोमती नामक दो हथनियों की मदद से हुआ एक बाघिन का रेस्क्यू, 8 दिनों से चल रहा था बाघिन का रेस्क्यू मिशन..

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Rescue of a tigress with the help of two elephants named Asha and Gomti

उत्तराखंड: 8 दिनों से चल रहे रेस्क्यू अभियान के बाद आखिरकार एक बाघिन को रेस्क्यू कर लिया गया। यह खबर कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जॉन की है जो कि नैनीताल में स्थित है। इस रेस्क्यू अभियान में 2 स्नीफर डॉग्स और आशा एवं गोमती नामक दी हथनियों की भी मुख्य भूमिका रही है। आपको बता दें, 15 दिसंबर को बाघिन को राजाजी टाइगर रिज़र्व लेजाने का निर्णय किया गया था। इसकी जिम्मेदारी पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा के कंधों पर थी। बीते 8-10 दिनों से दुष्यंत शर्मा बाघिन को ढूंढ रहे थे और मंगलवार को आखिरकार बाघिन को ढूंढने में वह कामयाब रहे। लेकिन सबसे बड़ा काम अभी रह गया था, वह था बाघिन को रेस्क्यू करके राजाजी टाइगर रिज़र्व पहुँचाना।

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बाघिन को खोज निकालने के बाद दुष्यंत शर्मा 2 स्निफर डॉग्स और दोनों हथनियों के साथ बाघिन के रेस्क्यू के लिए निकल पड़े। स्नीफर डॉग्स बाघिन को ढूंढने ढूंढते एक छोटी सी पहाड़ी तक पहुंच गए। जहां रेस्क्यू टीम को अपनी ओर आते देख बाघिन उनपर दहाड़ने लगी। लेकिन गोमती एवं आशा नामक दोनों हथनिया बाघिन की दहाड़ से बिल्कुल नहीं डरी और न ही पीछे हटी। इनमें से एक हथनी पर दुष्यंत शर्मा भी सवार थे। दोनों हथनियों के साहस की मदद से डॉक्टर शर्मा ने लगभग 25 मीटर की दूरी से बेहोशी का इंजेक्शन बाघिन पर चलाया, जिससे वह बेहोश हो गयी। उसके बाद बाघिन को पिंजरे में डालकर उसी रात राजाजी टाइगर रिज़र्व पहुंचाया गया। यह टाइगर रिज़र्व हरिद्वार के मोतीचूर में है। इसके बाद डॉक्टर शर्मा ने दोनों हथनियों के साहस की भी सराहना की।

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