चमोली आपदा – गुरूजी आपदा में भी सिर्फ 1 छात्र को पढ़ाने स्कूल आए…आगे पढ़िए….

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चमोली आपदा - गुरूजी आपदा में भी सिर्फ 1 छात्र को पढ़ाने स्कूल आए...आगे पढ़िए....

पढ़ाई एक ऐसी चीज है जिसको लेके हर कोई इतना इच्छुक नहीं होता खासकर छोटे बच्चे, वो अक्सर पढ़ाई में ने ध्यान देकर खेलने में ज्यादा ध्यान देते हैं। लेकिन कुछ ऐसे बच्चे भी होते है को मुश्किलें आने पर भी पढ़ाई करने के लिए कोई ना कोई रास्ता ढूंढ ही लेता है। और अब आपको चमोली आपदा की कुछ कहानी बताते हैं। चमोली के तपोवन में आई आपदा से तो सब डरे हुए है साथ ही अभी भी राहत बचाव कार्य आईटीबीपी, एसडीआरएफ के जवानों द्वारा चलाया जा रहा है। आपको बता दें कि इस आपदा में रैणी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। लेकिन आपदा के बाद आज सरकारी हाई स्कूल में रैणी गांव के गांव का एक छोटा सा बच्चा बैठकर पढ़ाई कर रहा है, उस बच्चे का नाम देवेन्द्र है और आपदा आने के एक हफ्ते बाद देवेन्द्र एक बार फिर से लगन से स्कूल में पढ़ाई कर रहा है।

चमोली में आई आपदा को एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है और यहां फिर से एक बार रैणी गांव का हाई स्कूल खुल चुका है। हेड मास्टर केएस चौहान के साथ सारे शिक्षक और स्टाफ भी स्कूल समय पर आए हैं और साथ ही किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि कोई छात्र स्कूल आएगा लेकिन प्रार्थना के वक्त नवीं कक्षा के देवेंद्र को देखकर सबके चेहरे खिल उठे और साथ ही देवेंद्र का कहना है कि उसका दोस्त मयंक अब भी पुल के उस पार फंसा होने के कारण उसको अपने दोस्त की चिंता सताई जा रही है। देवेन्द्र ने बताया कि मयंक का घर नदी के दूसरी ओर है, नदी की वजह से बाढ़ में काफी कटाव हुआ है जिसके बाद वहां से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। स्कूल में मौजूद स्टाफ और शिक्षकों ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कोई भी छात्र स्कूल आएगा लेकिन देवेन्द्र को देखकर सबके चेहरे खिल उठे और साथ ही शिक्षकों ने उसकी तारीफ भी कि। देवेंद्र ने बताया कि आपदा से 1 दिन पहले वह अपने माता के साथ जोशीमठ आ गया था और उसके पिता भी यहीं काम करते हैं लेकिन वह भी आपदा के 1 दिन पहले ही कालेश्वर चले गए थे और अगले ही दिन उसके पिता को पता चला कि आपदा आई है तो उनको सच मे विश्वास ही नहीं हुआ। जिसके बाद टीवी के जरिए उन्होंने आपदा की तस्वीरें देखी और बाद में उन्होंने भगवान को धन्यवाद किया।

राजेंद्र परमार जो कि स्कूल के शिक्षक हैं उन्होंने बताया कि स्कूल में फिलहाल 11 छात्र हैं और 5 से अधिक छात्र नदी के दूसरी तरफ के गांव से आते हैं और पुल ना होने से और बाढ़ का खतरा होने के कारण परिजन उनको भेजने से दर रहे है। लेकिन हमारा पूरा प्रयास किया जा रहा है कि उन बच्चों को फोन या व्हाट्सएप के जरिए पढ़ाई में सहायता की जाती रहे ताकि उनको पढ़ाई में कोई भी परेशानी ना हो।

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