सिलबट्टे को इन पहाड़ी महिलाओं ने बनाया स्वरोजगार, आज कमाती है लाखों रुपए, विदेशों में भी है पहाड़ी नमक की डिमांड..

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These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too..
These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too (Image Credit: Namakwali | Instagram)

पूरी दुनिया में भारत के लोग सिर्फ एक ही प्रकार के नमक का सेवन करते हैं जिसे पूरी दुनिया में सादा नमक और भारत में टाटा नमक के नाम से जाना जाता है. जो कि एक साधारण सा समुद्र से निकला हुआ रिफाइंड किया हुआ बिना किसी अन्य अवयव से मिला हुआ नमक होता है. मगर पहाड़ी राज्य में व उत्तराखंड के पहाड़ों में यहां के लोग एक और प्रकार के नमक का सेवन करके बड़े हुए हैं।

 

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जिसे यहां के लोग लोक भाषा में “पिसयू लूण” के नाम से जानते हैं. जिससे कि सिलबट्टे पर नमक मिर्च अदरक व अन्य अवयवों को मिलाकर उन्हें पीसकर बनाया जाता है. इस “पिसयू लूण” का स्वाद दुनिया व देश के अन्य राज्यों को सिखाने के लिए टिहरी गढ़वाल की रहने वाली एक ग्रहणी जिनका नाम है।

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These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too (Image Credit: Namakwali | Instagram)

शशि रतूड़ी. जिन्होंने 1982 में महिलाओं को रोजगार प्रदान करने और उत्तराखंड की संस्कृति को अपने तरीके से बढ़ावा देने के लिए महिला नवजागरण समिति की शुरुआत की. श्रीमती शशि रतूड़ी जी को बचपन से ही सामाजिक कार्यों में शामिल होने में बहुत रुचि थी.इसीलिए उन्होंने गरीब लोगों की मदद करने के लिए इसी साल एक संस्था “नमकवाली” की शुरुआत की.

These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too..
These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too (Image Credit: Namakwali | Instagram)

 नमकवाली का एक नारा भी है “अगर टाटा नमक देश का नमक है तोपिसयू लूण उत्तराखंड का नमक है” .इस नमकवाली ब्रांड की एक खासियत भी है या पहले से ही अपने प्रोडक्ट तैयार करके नहीं रखते हैं .जैसे अन्य ब्रांड्स करते हैं. यह प्रोडक्ट डिमांड पर ही तैयार करते हैं. ताकि वह अपने ग्राहकों तक अच्छा और फ्रेश प्रोडक्ट पहुंचा सकें.

 

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अन्य ब्रांड्स के जैसे नमक वाली के प्रोडक्ट में भी बहुत सारी वैराइटीज हैं जैसे की अदरक, लहसुन और भी अधिक इनग्रेडिएंट है. हर एक प्रोडक्ट की अपनी एक अलग खुशबू और अलग स्वाद है. जिसे आप किसी भी प्रकार के खाने में प्रयोग कर सकते हैं.श्रीमती शशि रतूड़ी जी ने उत्तराखंड के विभिन्न राज्यों से महिलाओं को लाकर इस प्रयोजन की शुरुआत की है.

These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too..
These hill women made silbatte self-employed, today earns lakhs of rupees, there is demand for mountain salt in foreign countries too (Image Credit: Namakwali | Instagram)

जहां पूरी दुनिया किसी भी चीज को पीसकर बनाने के लिए मिक्सर और ग्राइंडर का यूज करती है वही नमकवाली संस्थान की महिलाएं आज भी इस पिसे हुए नमक को बनाने के लिए सिलबट्टे का प्रयोग करती हैं. ताकि उत्तराखंड की संस्कृति और इस पिसे हुए नमक का जो असली स्वाद है वह बना रहे.श्री रतूड़ी जी ने न जाने कितनी ही महिलाओं को रोजगार देकर उनके आर्थिक मदद की है.और वह सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है.

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