वर्ष 2015 से शुरू हुई ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेल परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करना है। यह 125 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन ऋषिकेश से शुरू होकर चमोली जिले के कर्णप्रयाग तक जाएगी। परियोजना के तहत 16 सुरंग और 16 पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से कुछ का काम पूरा हो चुका है। रेलवे का कार्य तेजी से चल रहा है, जिससे अनुमान है कि 2026 तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल पहुंच जाएगी।
उत्तराखंड की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेलवे परियोजना में तेजी से प्रगति हो रही है। परियोजना के तहत 213.4 किमी लंबी सुरंगों की खोदाई का कार्य चल रहा है, जिसमें से 73% यानी 153.6 किमी की खोदाई मार्च 2024 तक पूरी हो चुकी है। सुरंगों में 20 किमी तक कंक्रीट अस्तर का कार्य भी पूरा हो चुका है।यह रेलवे लाइन 125 किमी लंबी है, जिसमें से 104 किमी भाग 17 सुरंगों से गुजरेगी। परियोजना के खोदाई और निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूरे होने का अनुमान लगाया जा रहा है, और 2026 तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल चलने लगेगी।
इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद मिलेगी। परियोजना के तहत विभिन्न सुरंगों और पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जो क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।मार्च 2024 तक ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेलवे परियोजना में 16 पुलों में से 4 पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है। इन पुलों में श्रीनगर गौचर और कालेश्वर सिवाई में रेलवे स्टेशन को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए मोटर पुलों का निर्माण शामिल है।
इसके अलावा, परियोजना के तहत देवप्रयाग-पौड़ी मोटर मार्ग (14 किमी) और कीर्तिनगर-ज्ञानसू मोटर मार्ग (10 किमी) पर डामीकरण का कार्य चल रहा है। ब्रॉड गेज रेल लाइन के लिए टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, और जल्द ही रेल लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
परियोजना के पूरा होने से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल सेवा शुरू हो जाएगी, जिससे क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी। परियोजना के तहत विभिन्न सुरंगों और पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जो क्षेत्र की बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद करेगा।ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेलवे परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसमें 13 स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारीदेवी, तिलनी, घोलतीर, गौचर और सिंवई (कर्णप्रयाग) शामिल हैं।
इस परियोजना के तहत पौड़ी जिले के श्रीनगर में जीआईएनटीआई मैदान से डुंगरीपंथ धारी देवी तक 10 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण किया जा रहा है, जिसका कार्य 95% से अधिक पूरा हो चुका है। यह सुरंग जुलाई 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है, जिससे श्रीनगर से धारी देवी तक की दूरी सुरंग के माध्यम से तय की जा सकेगी।
इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद मिलेगी, जिससे क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी।श्रीनगर से धारी देवी तक के 9 किलोमीटर लंबे ट्रैक में से 800 मीटर से अधिक हिस्सा ओपन ट्रैक होगा, जबकि बाकी हिस्सा सुरंग के अंदर से गुजरेगा। सुरंग निर्माण के बाद, इसमें कंक्रीट और पटरी बिछाने का कार्य किया जाएगा।
इस परियोजना के तहत स्टेशन पर तीन पटरियां बनाई जाएंगी, जबकि ओपन और सुरंग के अंदर सिंगल पटरी होगी। इस स्टेशन के बनने से लगभग 30 हजार लोगों को लाभ मिलेगा और बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने के लिए पहुंच भी आसान हो जाएगी।यह परियोजना उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और क्षेत्र के विकास में मदद करेगी।