आपको बता दें की, हिमाचल प्रदेश की अंतर राज्यीय सीमा मीनस पुल पार कर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने अतिक्रमण किया है। प्रदेश की जमीन पर उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग ने 14 मीटर अंदर तक सड़क कार्य करवा दिया है, और वहीं उत्तराखंड ने सूबे के अधीन आने वाली सड़क में करीब 10 लाख रुपये खर्च करके सुरक्षा दीवार और चार पैरापिट बनाए हैं। बता दें की, प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम से टौंस नदी के पुल के निर्माण की लगी लोकार्पण पट्टिका भी तोड़ दी गई है।
जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य बनने से पहले जब यह राज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा था,तो तब वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर और हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अंतर राज्यीय सीमा में टौंस नदी पर बने मीनस पुल का संयुक्त रूप से लोकार्पण किया था। और उसके बाद पुल के एक छोर पर वीर बहादुर और दूसरे पर वीरभद्र सिंह के नाम की लोकार्पण पट्टिका लगाई गई थी, इसको लगाने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि, टौंस नदी के एक किनारे उत्तराखंड, जबकि दूसरे किनारे से हिमाचल प्रदेश की सीमा आरंभ होती है।
और 14 मीटर अंदर सड़क कार्य करवाने से हिमाचल के लोनिवि के साथ स्थानीय प्रशासन की मुस्तैदी की सारी सच्चाई खुल गई है।आपको बता दें की, उपायुक्त सिरमौर आरके परूथी का कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है और इसकी डिमार्केशन करवाई जाएगी। वही करवाई के बाद ही अतिक्रमण का मामला स्पष्ट किया जाएगा। शिलाई से कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि मामला सरकार से उठाया जाएगा। वहीं यहां पर, किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।
वही धीरेंद्र प्रताप सिंह, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण मंडल शईया का कहना है की, निर्माण मंडल शिलाईउत्तराखंड लोनिवि ने टौंस नदी के उस पार तक है। इसको लेकर हिमाचल लोनिवि ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। और वहीं प्रमोद उप्रेती, अधिशासी अभियंता का कहना है की, अंतरराज्यीय सीमा से करीब 14 मीटर दूर प्रदेश की जमीन में उत्तराखंड लोनिवि ने कुछ निर्माण कार्य करवाए हैं। उन्होंने ऐसा क्यों किया है, और इसकी जांच की जा रही है। असिस्टेंट इंजीनियर मौके पर भेजा गया था और बता दें की, अतिक्रमण हुआ पाया गया है।