आतंकी हमले में देश का एक और लाल शहीद, 9 RR स्पेशल फोर्स में कमांडो था शहीद जवान..

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Gorakhpur 9 RR special force commando martyred in terrorist attack in srinagar

श्रीनगर कुलगांव के पास सोमवार को आतंकियों ने पहाड़ी पर राशन ले जा रही सेना की गाड़ी पर हमला कर दिया। घटना में कमांडो नवीन सिंह शहीद हो गए। वह अभी मात्र 23 वर्ष के ही थे। बताया जा रहा है कि उनके सिर और पैर पर गोली लगी जिसके कारण उनकी मौत हो गई। सोमवार देर रात सीओ ने फोन कर नवीन के शहीद होने की सूचना उनके परिजनों को दी। पोस्टमार्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर गोरखपुर भेजा जाएगा।

नवीन का पूरा परिवार हनुमान मंदिर नंदानगर में रहता है। नवीन सिंह 9 आरआर स्पेशल फोर्स में कमांडो थे। पिछले डेढ़ साल से वह जम्मू श्रीनगर में तैनात थे। नवीन जिस कमांडो टीम का हिस्सा थे 10 दिन पहले उस टीम ने कुछ आतंकियों को एक ऑपरेशन के दौरान मार गिराया था। नवीन और उनकी टीम सोमवार को पहाड़ी पर राशन पहुंचाने जा रही थी। तभी घाट लगाए कुछ आतंकियों ने उनपर फायरिंग कर डाली। नवीन के सिर और पैर पर गोली लगने के कारण वह शहीद हो गए। इसके बाद सीओ कर्नल पटेल ने नवीन के भाई विकास को फोन कर बताया कि नवीन के पैर पर गोली लगी है। हालांकि दो घंटे बाद उन्होंने नवीन के शहीद होने की खबर भी दी।

नवीन के शहीद होने की खबर मिलते ही उनके परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। सहजनवा के विधायक शीतल पांडेय भी नवीन के घर सांत्वां देने पहुंचे। बता दें, सोमवार सुबह 9:30 बजे नवीन ने अपने बड़े भाई विकास से अंतिम बात की थी। विकास को ही उसी रात सीओ ने नवीन के शहीद होने की खबर दी थी। नवीन ने अपने पिता जयप्रकाश सिंह से भी अंतिम बात रविवार को की थी। उन्होंने बताया कि 10 जून को वह छुट्टी लेकर घर आने वाला था।

24 अक्टूबर 1997 को नवीन का जन्म हुआ था। इंटर करने के बाद मात्र साढ़े 17 साल की उम्र में वह एएस सी यूनिट में भर्ती हो गए थे। उनकी ट्रेनिंग बैंगलोर में पूरी हुई। फिर उनकी पहली तैनाती राजस्थान में हुई। पिछले डेढ़ साल से वह जम्मू श्रीनगर में स्पेशल फोर्स कमांडो की 9 आरआर यूनिट में तैनात थे। नवीन के दोस्तों ने बताया कि छुट्टी में वह उनसे मिलने आते थे। वह अच्छे धावक तो थे ही, उनका फुटबॉल से भी काफी लगाव था। वह हसमुख एवं मिलनसार व्यक्ति थे।

जयप्रकाश सिंह (नवीन के पिता) ने बताया कि “छोटी उम्र में ही उन्होंने पूरे घर की जिम्मेदारी उठा ली थी। उसे अपने बड़े भाई विकास की काफी चिंता थी। क्यूंकि वह बेरोजगार है। इसलिए नवीन ने अपने भाई के लिए एक दो मंजिला मकान बनवाया। ताकि वहां से आ रहे किराए से उसका भाई अपना खर्चा चला सके। नवीन की बदौलत ही उसकी दो बड़ी बहनों की शादी अच्छे घरों में हो पाई। मैं अपने बेटे का कर्जदार हो गया हूं। सबसे पहले शहीद कमांडो नवीन का पार्थिव शरीर उनके गांव भगवानपुर बरडाढ़ ले जाया जाएगा। गांव में अंतिम दर्शन के बाद सेना के सहयोग से राजघाट में नवीन का अंतिम संस्कार किया जाएगा।”

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