जवान की दुखभरी कहानी, जिस दोस्त ने बचाई जान उसी को मरता देख रहा था..

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Sad story of the young man, the friend who saved his life was watching him die

बीजापुर- 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के हमले ने सबको हैरान कर दिया।इस हमले के दौरान 22 जवानों ने खुद को देश के नाम कर शहादत पाई।उन 22 जवानों में से एक जवान बासागुड़ा के रहने वाले सुभाष नायक भी थे।उनकी शहादत से न केवल उनका परिवार सदमे में है बल्कि उनके एक बहुत करीबी मित्र एवं साथी शंकर पुनेम को भी उनकी शहादत का गहरा सदमा पहुंचा है। शंकर पुनेम भी डीआरजी के जवान है, हमले के दौरान वह भी नक्सलियों का डटकर सामना कर रहे थे।

उनकी बात मानें तो 2018 के समय से ही बासागुड़ा साप्ताहिक बाजार में नक्सलियों ने उस पर अटैक किया था, उस समय उसकी जान उसके मित्र सुभाष ने अपनी जान दाव पर लगाकर बचाई थी।उसने भरे बाजार बहादुरी से नक्सलियों से लोहा लिया ।साथ ही उन नक्सलियों के हथियार छीन उनमें से एक नक्सली को मार भी गिराया था। शहीद सुभाष की इसी बहादुरी के लिए उन्हे पदोन्नत भी किया गया था। वह इसी बहादुरी के लिए मशूर थे।

लेकिन 3 अप्रैल को हमले के दौरान चारों तरफ गोलियां चल रही थी और बम फट रहे थे। उस समय सुभाष उसी बहादुरी के साथ नक्सलियों से लोहा ले रहे थे।शंकर उस समय पत्थर की ओट लेकर पोजिशन में ही थे। दूसरी ओर सुभाष ने गोलीबारी और बम धमाकों के बीच अपना दम तोड दिया।उसी दोस्त को मरता देख कर शंकर को गहरा सदमा लगा है,उन्हे इस बात का भी दुख है कि वह अपने बहादुर मित्र को बचा नही पाया लेकिन शंकर को अपने मित्र की बहादुरी पर बहुत गर्व है।

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