उत्तराखंड: चीन सीमा को जोड़ने वाली मलारी हाईवे पर भूस्खलन, सेना के जवानों की आवाजाही बंद, बढ़ी मुसीबतें….

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Movement of army personnel stopped after landslide on malari highway

उत्तराखंड में मॉनसून आते ही पहाड़ों की हालत खस्ता होने लगती है आए दिन हमें लैंडस्लाइड, सड़क टूटना या धसना जैसे खबरें सुनने को मिलती है। इसी बीच उत्तराखंड के चमोली जिले से ऐसी ही खबर सामने आई है। वहां चीन सीमा को जोड़ने वाली मलारी हाईवे करीब 10 दिन से बंद है और अब तक शुरू नहीं हो पाया है। नीति घाटी में कोहरा होने के कारण अभी तक हेली रेस्क्यू नहीं हो पाया है। बीआरओ की जेसीबी मशीनें हाईवे को सुचारू करने में जुट चुकी है। नीति घाटी के ग्रामीण हाईवे के खराब होने से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और उनकी आवाजाही पूरी तरह से बंद है। ग्रामीणों के आने जाने के लिए प्रभावित क्षेत्र में एक पैदल रास्ता बना लिया गया है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों की निगरानी में ग्रामीण सुरक्षित आवाजाही कर रहे हैं।

नीति घाटी का यह हाईवे सुरक्षा की दृष्टि से काफी अहम हाईवे है हाईवे के द्वारा सेना की जरूरत की चीजों की आवाजाही होती है। हाईवे के बंद होने की वजह से चीन सेना पर मुस्तैद सेना के जवानों की आवाजाही और जरूरी सामग्री की सप्लाई चिनूक के माध्यम से की जा रही है। जोशीमठ से चिनूक सामग्री लेकर सेना को पहुंचाया जा रहा है। आपको बता दें कि मलारी हाईवे पर सुरांईथोटा और तमक गांव के बीच 14 अगस्त को चट्टान गिरने से भूस्खलन शुरू हुआ था। इतना भूस्खलन हुआ कि 10 दिन तक भी हाईवे ठप है।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि मलारी हाईवे को खोलने का काम चल रहा है और हाईवे पर जगह-जगह पर गिरे भारी मात्रा में बोल्डर और मलबे को जेसीबी की मदद से हटाया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्दी हाईवे को खोला जाएगा। साथ ही उन्होंने यह कहा कि मौसम ने साथ दिया तो मंगलवार तक हाईवे को शुरू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि चमोली जिले में भूस्खलन के कारण करीब 7 संपर्क मोटर मार्ग अवरुद्ध हो रखे हैं। इस हाइवे के बंद होने के कारण नीति घाटी के करीब 16 गांव के 400 ग्रामीण प्रभावित हुए हैं, जिसकी वजह से उन्हें आवाजाही में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हाईवे बंद होने से नीती घाटी के तमक, जेलम, द्रोणागिरी, कागा, गरपक, जुम्मा, भापकुंड, कोषा, मलारी, कुरकुटी, महरगांव, बांपा, गमशाली और नीती गांव के भोटिया जनजाति के ग्रामीणों की आवाजाही ठप है।

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