भारत चीन सीमा विवाद कें बीच अब भूटान की हों रहीं है चर्चा..

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Bhutan is now being discussed between India-China border dispute

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद भारत के प्रधानमंत्री कूटनीति के विषय को लेकर एक्टिव दिखाई दे रहे हैं चाहे फिर वह अमेरिका के साथ हो या जापान जैसे देशों के साथ। इसी कारण नरेंद्र मोदी जी लगातार चर्चा का विषय बने हुए हैंहाल ही में बीते कुछ दिनों में भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के बुरे होने की खबर लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। नेपाल और बांग्लादेश जैसे देश जो चीन का कर्ज लेते लेते उसका गुलाम बनते जा रहे हैं। ये वही देश हैं जो एक तरह तो भारत से मदद लेते हैं वहीं भारत के खिलाफ चीन का साथ देते हैं और भारत को आंख दिखा रहे हैं।अब इन देशों में भूटान का नाम भी सामने आ रहा है।और इन देशों की सूची में अपनी जगह बनाता जा रहा है।

भूटान की सीमा से लगे भारत के असम प्रान्त के जिले के कई किसानों ने भूटान को दोषी ठहराते हुए भूटान के खिलाफ विरोध जताया किसानों ने भूटान की ओर इशारा करते हुए कहा कि भूटान ने भूटान से आने वाली काला नदी का पानी रोक दिया। जिससे कि इन किसानों को सिंचाई को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।लेकिन जब भारत में यह खबर आग की तरह फैली तो भूटान के वदेश मंत्रालय ने मामले में अपनी बात रखी।

भूटान की सीमा से सटे इन गांवों की ज्यादा से ज्यादा जनसँख्या कृषि पर निर्भर है और यह लोग काफी पिछड़े हैं। ओर भूटान से आने वाली काला नदी के पानी पर निर्भर हैं। ये लोग काफी समय से इसी नदी का पानी उपयोग में ला रहे हैं लेकिन इनका आरोप है कि भूटान ने सिंचाई नालों पर रोक लगाई है। गाँवो के लोग यह भी बता रहे हैं कि 1951 के बाद से अभी तक कभी भी उनको ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन उन्होंने 22 जून को धरना देते हुए कहा कि अब उन्हें उनकी सुविधा के अनुसार पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है।बताया जा रहा है कि यह धरना कालीपुर बोगाजुली आंचलिक बांध कमेटी के सामने दिया गया।

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किसानों के विरोधों ऒर पानी पर लगाई गयी अनावश्यक रोक को लेकर भूटान की शाही सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 24 जून 2020 को भारत में कई सुर्खियों में यह आरोप लगाया जा रहा है कि भूटान की ओर से अनावश्यक पानी पर रोकथाम की जा रही है।लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया है कि भूटान से इन लोगों के लिए पानी रोके जाने के लिए कोई न तो उद्देश है।ओर न ही कोई कारण है।

भूटान के विदेशमंत्रालय ने कहा कि असम के सीमावर्ती इलाके के लोग विगत वर्षों से काला नदी के पानी का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस के चलते उनको बड़ी दिक्कतें आ रही है। कोरोना वायरस के चलते भारत में लोकडाउन जैसे स्थिति है वहीं दूसरी ओर भूटान की सीमाओं को भी सील किया गया है।जिसके कारण असम के सीमावर्ती इलाको के लोग भूटान की सीमा में बीतें कुछ महीनों की भांति प्रवेश नही कर पा रहे है। लिहाजा असम के लोगों को जब भी पानी को लेकर परेशानी होती है तो भूटान समद्रोप जोंगखार जिले का प्रशासन इन लोगों की मदद करता रहा है। भूटान ओर भारत की मित्रता को लेकर यह भ्रमित करने वाली खबर है। ऐसी कोई बात नहीं है जिससे कि भूटान भारत के संबंधों में नेपाल ,बांग्लादेश जैसे राष्ट्रों की भांति कड़वाहट पैदा हो जो दोस्ती भारत और भूटान की पहले थी वही है और आगे भी रहेगी। जिला प्रशासन सीमावर्ती इलाकों के 16 गाँवो में रहने वाले लोगों की मदद जरूर करेगा ऐसा भूटान के विदेश मंत्रालय का कहना है।

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