चंपावत: पिता को खोया लेकिन नहीं खोया हौसला, लेखपाल परीक्षा में टॉप करने के बाद सुनील VDO में भी चयनित

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Champawat's Sunil Lekhpal after topping the exam also selected in VDO
Champawat's Sunil Lekhpal after topping the exam also selected in VDO (Image Source: Social Media)

उत्तराखंड के सुनील बुराठी जिन्होंने पटवारी/लेखपाल परीक्षा में चंपावत जिले में टॉप किया है.अब उन्हें VDO परीक्षा में भी सफलता प्राप्त हो चुकी है. सुनील ने पहले भी कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की है.सुनील बुराठी चंपावत के दूरस्थ खटोली तल्ली गांव निवासी ने राज्य एवं केन्द्र स्तरीय परीक्षाओं में सफलता हासिल की है।

उन्होंने कुल 8 प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है. उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग एवं उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित फारेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक, पटवारी/लेखपाल, स्नातक स्तरीय (विडिओ/विपिडिओ आदि), लोअर पीसीएस प्रारंभिक, अपर पीसीएस प्रारंभिक, एफ‌आर‌ओ प्रारम्भिक परीक्षाएं के अलावा एस‌एससी सीजीएल 2022 की प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण की है.प्राप्त जानकारी के अनुसार पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा में सुनील चंपावत टॉपर बने थे.अब उन्हें VDO परीक्षा में भी कामयाबी मिली है. 142वीं रैंक के साथ उन्हें ये कामयाबी हासिल हुई है.

सुनील बुराठी ने अपने हाईस्कूल की पढ़ाई गांव के सरकारी विद्यालय से ही की है. अपनी इंटर की पढ़ाई उन्होंने चंपावत से की. तदोपरांत उन्होंने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लोहाघाट में प्रवेश लिया और बीएससी की पढ़ाई की. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उन्होंने फौज में जाने की तैयारी भी की. बता दें कि उन्हें 10 से ज्यादा बार सफलता मिली.

लेकिन वे मेडिकल परीक्षा को पास नहीं कर पाए. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लॉकडाउन के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई आगे जारी रखने के लिए देहरादून जाने का फैसला लिया. उनकी मेहनत और लगन के आगे चुनौतियों को हार माननी पड़ी. आज सुनील के पास कई सरकारी कार्यालय ज्वाइन करने के विकल्प है. वे कहते हैं कि युवाओं को कभी भी हार नहीं मानी चाहिए. संघर्ष हमारे जीवन का हिस्सा है इसलिए परिश्रम करते जाना चाहिए.

सफलता एक दिन अवश्य मिलती है किसी को जल्दी तो किसी को देर में,लेकिन किया गया परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता. आगे बताते चलें तो सुनील बुराठी के पिता जोत सिंह बुराठी की मृत्यु हो चुकी है. पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां पार्वती देवी ने ही उनको संभाला और उनके सपनों को संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सुनील कहते हैं कि उन्होंने अपनी मां के परिश्रम को देखा है जिससे वह काफी प्रेरित होते थे. उनकी मां ने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने का काम किया जिससे की वो कभी भी मायूस नहीं हुए.

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