अगर सबसे ज्यादा जज़्बा सेना में भर्ती होने के लिए पूरे देश में बात करें तो इसमें उत्तराखंड के नौजवानों का नाम ऊपरी तालिका में सुमार होगा। क्योंकि जितना जुनून उत्तराखंड के जवानों में भारतीय सेना में भर्ती होने के लिये दिखता है। उतना शायद ही किसी और में दिखे। हज़ारो पहाड़ी नौजवान उत्तराखंड की सेना में भर्ती होने के लिये ततपर रहते हैं और देश पर जान कुर्बान तक करने को डटकर सीमा में दुश्मन की नापाक हरकतों का जवाब देते हुए अपनी वीरता का प्रमाण देते रहते है।सैन्य परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उत्तराखंड के ये वीर जवान यह प्रदर्शित करते हैं कि देश की सेवा से बढ़कर औऱ कुछ नहीं है। भारत चीन युद्ध, भारत पाकिस्तान युद्ध, कारगिल युद्ध तथा भारत ने अपने इतिहास में जितनी भी लड़ाइयां लड़ी उनके बारे में आप सब रूबरू होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं। कि इन युद्धों में जिन भारत के कई जवानों द्वारा अपने देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी गयी थी। वह जवान तो आज हमारे बीच नहीं है लेकिन हमारे दिल में उनके लिए जगह है और दोस्तों आज भी उन जवानों के परिजन उनके नाती पोते उनका नाम गर्व से ऊंचा करने के लिये औऱ देश की सेवा करने के लिए भारतीय सेना का हिस्सा बनने के लिए कड़ी मेहनत में जुटे हुए है।
आज दैनिक सर्कल की टीम आपको ऐसे ही एक सैनिक से रूबरू करवाएगी जो कारगिल युद्ध में अपने पिता की सहादत के बाद अब स्वयं सेना में भर्ती होकर सैन्य परम्परा को बढ़ाने में अपना किरदार निभा रहा है।
दरहशल कारगिल युद्घ में शहीद सैनिक के बेटे अब सेना में भर्ती होकर सेना में अपनी ड्यूटी प्रहरी के तौर पर दे रहें हैं। दोस्तों दरहशल यहां बात हो रही है। उस शहीद की जिसने 1999 के कारगिल युद्ध में जी जान लगाकर अपना बलिदान भारत भूमि के लिए दे दिया। बता दें इस वीर शपूत का नाम था लांस नायक हीरा सिंह नेगी जो कुमाऊं नागा रेजिमेंट का हिस्सा थे। बता दें कि उनकी पत्नी गंगी देवी आज भी उनकी शहादत पर गर्व करती है। लेकिन जब हीरा सिंह नेगी युद्ध में शहीद हो गए थे। तब उनकी पत्नी के लिये उनके तीनों बेटों पालना बड़ा मुश्किल काम था। लेकिन उन्होंने कभी भी परेशानियों को आड़े नहीं आने दिया बड़ी मेहनत करके अपने तीनों बेटों का पालन पोषण किया। उनको पढ़ाया लिखाया।
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किस हालात में है उनके तीनों बेटे:-
दोस्तों हीरा सिंह नेगी के तीनों बेटे कुछ न कुछ काम करके अपना घर चला रहे हैं जहां उनके बड़े बेटे गैस एजेंसी चला रहे है वहीं उनके बीच वाले बेटे बड़े भाई के साथ उस ही गैस एजेंसी में काम कर रहें हैं। लेकिन उनके छोटे बेटे ने बचपन में ही एक लक्ष्य निर्धारित कर लिया था कि मुझे बड़े होकर अपने पिता की तरह सेना में भर्ती होकर देश के लिए काम करना है ।
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