अल्मोड़ा के जैंती तहसील के सिलपड़ के रहने वाले नीरज बिष्ट ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से यह साबित कर दिया कि सपने साकार करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन ही कुंजी है। 2019 में सेना के सिग्नल कोर में राइफलमैन के पद पर भर्ती हुए नीरज ने सेना कमीशन परीक्षा पास कर शनिवार को देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया।
बचपन का सपना और अटूट मेहनत
नीरज ने जबलपुर से इंटरमीडिएट के बाद सेना में कदम रखा। बचपन से ही उनका सपना सेना में अफसर बनने का था। राइफलमैन पद पर रहते हुए भी उन्होंने अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा और दिन-रात मेहनत जारी रखी। सुबह-शाम की पीटी, ड्यूटी और थकावट के बावजूद उन्होंने पढ़ाई का क्रम बनाए रखा।
पिता की सीख बनी प्रेरणा
नीरज के पिता, बची सिंह बिष्ट, जो खुद सेना के सिग्नल कोर में सूबेदार के पद से 2021 में रिटायर हुए, हमेशा कहते थे, “कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।” इस बात को नीरज ने गांठ बांध लिया और हर कठिनाई को पार कर आज लेफ्टिनेंट बनने का गौरव हासिल किया।
परिवार का गर्व और मां का बलिदान
नीरज के पिता को अपने बेटे पर गर्व है। वहीं, मां अनीता देवी ने कहा, “मैंने अपना लाल अब भारत माता को सौंप दिया है।” नीरज की सफलता ने पूरे क्षेत्र को प्रेरित किया है।
नीरज की यह उपलब्धि हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो कम संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।