दरहशल आज 26 जुलाई को कारगिल दिवस है। है जिसे शौर्य दिवस के रूप में पूरे देश भर में मनाया जाता है। लेकिन अब आप सोच रहे होंगे सौर्य दिवस तो पूरे देश का है तो इसमें उत्तराखंड का नाम क्यों? तो बिल्कुल दोस्तों आप अपनी जगह सही हैं भारत के अलग अलग राज्यों से कई जवानों ने देश की माटी के खातिर अपना बलिदान दे दिया। लेकिन अगर सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए तो वह थे उत्तराखंड के। जिन्होंने पाकिस्तानियों की हालत खराब कर दी और उनकी लाशें बिछा डाली। इस युद्ध को भला कौन भूल सकता है जब भारत ने पाकिस्तान को करारी हार का मार्गदर्शन करवाया। बता दें कि 20 साल पहले यानी जुलाई 1999 को उत्तराखंड के वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस के बलबूते पर पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह शिकस्त दी। औऱ करगिल में लड़े गए इस युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवान अपने देश की रक्षा करते शहीद हो गए।
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच लड़े गए इस युद्ध में वैसे तो भारत के सभी रेजीमेंटों ने अपनी भागीदारी निभाई लेकिन हम सभी रेजीमेंटों की बात न करते हुए उत्तराखंड के उन दो रेजीमेंटों की बात करेंगे जिन्होंने अपने 75 जवान इस युद्ध को लड़ते लड़ते खो दिए। इनमें गढ़वाल राइफल्स के 54 सैनिक जबकि कुमाऊं रेजिमेंट के 12 सैनिक शामिल थे।
जिसमें उत्तराखंड के हर एक जनपद से एक न एक वीर शपूत शामिल था। बता दें इसमें उधम सिंह नगर से 2,अल्मोड़ा से 3, पौड़ी से 3,रुद्रप्रयाग से 3, बागेश्वर से 3, नैनीताल से 5, चमोली से 7,लैंसडॉन से 10,टिहरी से 11 और देहरादून जिले से 14 वीरों ने अपना बलिदान दिया।यह भी पढ़े:महीने भर भी नहीं टिक पाता कोई भी आतंकी, सेना एक महीने से पहले ही जहन्नुम भेज देती है आतंकियों को…
उत्तराखंड यूँ तो प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां आपको हर 2किलोमीटर के दायरे में कुछ न कुछ टूरिस्ट प्लेसेस नज़र आएंगे। साथ ही इसको देवों की भूमि भी कहा जाता है। लेकिन इस देवभूमि से निकले पहाड़ी नौजवान न केवल उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा करते हैं बल्कि पूरे भारत में अलग अलग जगह तैनात होकर अपने देश को सुरक्षा प्रदान करते हैं। जी हां दोस्तों उत्तराखण्ड के बारे में यूं तो आपने बहुत कुछ सुना होगा लेकिन आज आपको कुछ विशेष बताया है आशा करते है आपको पड़कर अच्छा लगा होगा