ब्रिगेडियर उस्मान ने ठुकराया था पाकिस्‍तानी सेना का आफर, मिला था नौशेरा का शेर का खिताब..

0
brigadier usman rejects promotion offer in Pakistan army gets Nowshera ka sher title

आपको बता दें की आज हम आपको एक महान ब्रिगेडियर उस्मान जिन्हे नौशेरा का शेर का खिताब भी मिला था उनकी वीरगाथा के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान सेना ने वेश बदल कर जम्मू कश्मीर में आक्रमण किया तो भारतीय जांबाज ब्रिगेडियर उस्मान ने मुंह तोड़ जवाब दिया, और फिर भारतीय सेना ने झागड़ और नौशेरा पर दोबारा कब्जा कर लिया।ब्रिगेडियर उस्मान घोसी तहसील के बीबीपुर के निवासी थे। इस जंग के दौरान ब्रिगेडियर उस्मान गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिसके बाद ब्रिगेडियर 3 जुलाई 1948 को वीरगति को प्राप्त हो गए थे। आपको बता दें की भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र प्रदान किया था।

ब्रिगेडियर उस्मान के पिता का नाम मोहम्मद फारुख था जो की वाराणसी में कोतवाल थे। उनके तीन पुत्र थे, सबसे बड़े मोहम्मद सुबहान टाइम्स आफ इंडिया के एडिटर थे, वहीं दूसरे पुत्र ब्रिगेडियर उस्मान और तीसरे पुत्र मोहम्मद गुफरान भारतीय सैन्य अधिकारी थे। बता दें की भारत पाक विभाजन के दौरान पाकिस्तान ने दोनों भाइयों को सेना में प्रोन्नत देने का लालच देकर पाक सेना में सम्मिलित होने का आमंत्रण दिया था लेकिन, ये दोनों भाइयों ने इस आमंत्रण को ठुकरा दिया। मोहम्मद गुफरान के पुत्र सलमान एवं सीमा पढ़ाई के लिए कनाडा गए तो वहीं बस गए। वहीं, मोहम्मद गुफरान अपने अंतिम समय 1980. ALSO READ THIS:शहीद हिमांशु नेगी का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर पहुंचा गांव, नम आंखों से दी अंतिम विदाई..

बीबीपुर ही रहे। उनके निधन के पश्चात पैतृक हवेली अब खंडहर हो चुकी है, आप ऊपर तस्वीर में देख रहे होंगे की ये हवेली केसे खंडर हो गई है।बता दें की कश्‍मीर को पाकिस्‍तान में मिलाने की मंशा लिए पाकिस्‍तान भारतीय सेना में भी फूट डालना चाहता था। मगर पूर्वांचल की माटी के उस्‍मान ने पाकिस्‍तान जाने से साफ मना कर दिया। उसके बाद कश्‍मीर में कबायलियों के रूप में पाकिस्‍तानी सेना घाटी पर धीरे धीरे कब्‍जा करती जा रही थी, और उसी दौरान कश्‍मीर के शासन ने भारत में विलय करने की मंशा जाहिर की। फिर उसके बाद भारतीय सेना ने कश्‍मीर के लिए पाकिस्‍तान से जंग छेड़ दी। इस दौरान पाकिस्‍तान की सेना के पास बहुत सी महत्‍वपूर्ण चौकियां आ चुकी थीं। फिर ऐसे में ब्रिगेडियर उस्‍मान ने मोर्चा संभाला। ब्रिगेडियर उस्‍मान ने महत्‍वपूर्ण क्षेत्र नौशेरा और झागड़ को उनके ही प्रयास से वापस लेने में सफलता मिल सकी।

जिसके बाद उनको नौशेरा का शेर का खिताब भी मिला। हालांकि वो इस जंग के दौरान घायल हो गए थे जिसके बाद उन्होंने 3 जुलाई 1948 को अंतिम सांस ली। और आज भी उनके इस महत्वपूर्ण भूमिका को हर कोई याद करता है और आगे भी करते रहेंगे। और अभी भी मऊ, घोसी तहसील के बीबीपुर में उनकी हवेली आज भी मौजूद है। उनके भाइयों का परिवार विदेश चला गया है। और बाकी भी अब गांव की पुरानी हवेली छोड़कर शहरों की ओर रुख कर गए। वहीं गांव मे आज भी ब्रिगेडियर उस्मान की कहानियां पुरखों के जुबान पर बनी रहती। आज की के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली थी, और देश को सर्वोच्च बलिदान दिया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here