चीन की राजधानी बीजिंग: लद्दाख में वास्विक नियंत्रण रेखा यानी एल ए सी के पास गलवान घाटी में 21 जून को भारत चीनी सैनिकों के बीच में हिंसक झड़प में चीन के 40 सैनिकों की मौत को लेकर चीन ने यह खबर छुपाई न ही किसी भी देश को यह पता चलने दिया कि आखिर उनके कितने सैनिक मारे गए। जिसके कारण PLA कभी भी चीनी सरकार के विरुद्ध विरोध छेड़ सकती है।
इस बात को सामने लाने का प्रयास वाशिंगटन पोस्ट के ओपिनियन में चीन की कमिनयुनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता के बेटे और चीन के लिए सिटिज़न पावर इनिशिएटिव के अद्यक्ष जियानली यांग ने किया। यांग ने बताया कि काफी सालों से PLA चीन की सत्ता में भागीदारी देता आ रहा है। अगर देश की सेवा में काम कर रही PLA की भावनाओ को इस प्रकार की ठेस पहुंचाई गई तो हम रिटायर सैनिको के साथ मिलकर मोर्चाबंदी जैसे हतकंडे अपनाने से चूकेंगे नहीं।
वाशिंगटन पोस्ट में छ्पी हैडलाइन में कहा गया है कि अगर बीजिंग यह मान लेता है कि भारत के साथ गलवान घाटी की हिंसक झड़प में चीन के ज्यादा सैनिक मारे गए थे तो देश में असन्तोष की ज्वाला भड़क उठेगी इसका अंजाम क्या होगा यह कोई नहीं बता सकता। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लीजियांन के सामने जब यह सवाल रखा गया की चीन के कितने सैनिकों की मौत हुई थी? तो उन्होंने साफ इंकार करते यह बोला कि इस विसय में उनको कोई सूचना नही है। लेकिन भारतीय मीडिया में जब चीन के 45-50 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई तो उन्होंने इसे ही झूटी खबर बता दिया।
जहां भारत ने यह स्वीकार कर लिया कि उसके कितने सैनिक मारे गए है। वहीं चीन ने एक हफ्ते यह नहीं बताया कि उसके कितने सैनिक मारे गए। कम्युनिस्ट सरकार की शहीदो के प्रति इस प्रकार के फैसले से पीपल्स लिबरेशन आर्मी के पूर्व सैनिकों को यह बात चुभ गयी है। ओर चीनी सरकार की ओर उनका आक्रोश बढ़ता चला जा रहा है।बता दे कि भारत ने टिड्डियों की भांति काम न करकर अपने शहीदों का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार कर दिया था। औऱ भारत के कितने जवान सहीद हुये यह भी साफ कर दिया था।