दिल में जब कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो तो मंजिल को पाने में कितनी भी कठिनाई क्यों ना हो इंसान अपनी कठिन मेहनत और हर मुश्किलों को पार करके अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाता है ।
यही कुछ पंक्तियां सच कर दिखाई है भारतीय महिला अंडर-19 टीम की खिलाड़ी अर्चना देवी ने।बता दें कि हाल के दिनों में ही संपन्न हुए अंडर-19 महिला विश्वकप की विजेता टीम भारत बनी है ।
रविवार को विश्व कप का फाइनल मैच भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया जिसमें भारत ने एक शानदार जीत दर्ज की ,वहीं इंग्लैंड खराब प्रदर्शन के चलते मैच हार गए।
विश्व टी-20 अंडर-19 महिला विश्व कप का फाइनल मैच साउथ अफ्रीका में खेला गया।इंग्लैंड की टीम ने मात्र 68 रन बनाए और ऑल आउट हो गई जबकि भारतीय महिला टीम ने केवल 3 विकेट खोकर मैच अपने नाम किया।
बात करें अर्चना देवी की बचपन से लेकर क्रिकेट तक की सफर की तो वह बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा अर्चना की माता सावित्री ने अपनी बेटी अर्चना को इस मुकाम तक पहुंचाने में बहुत ही संघर्ष किया।
एक मां की कठिन परिश्रम और मेहनत की बदौलत ही आज अर्चना इस मुकाम को हासिल कर पाई है। अर्चना जब छोटी सी थी तभी उसके सर से पिता का साया उठ चुका था कैंसर के चलते अर्चना की मां सावित्री ने अपने पति को 2008 में कैंसर के कारण खो दिया।
वही अर्चना के एक भाई की भी साल 2017 में सांप के काटने से मृत्यु हो गई परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन अर्चना की मा ने हिम्मत नहीं हारी और अपने परिवार के लिए हर संभव प्रयास किया।
अर्चना के बड़े भाई रोहित ने बताया कि उसकी मां को गांव के लोग डायन कहने लगे थे साथ ही रिश्तेदार भी उसकी मां को भला बुरा सुनाते थे ।
अर्चना के बड़े भाई रोहित बताते हैं कि कई बार तो ऐसा समय भी आता था जब उन्हें केवल गाय और भैंस का दूध पीकर अपना पेट भरना होता था।यहां तक की अर्चना के घर को लोग डायन का घर कहने लगे।लेकिन सावित्री ने उन सब लोगों को नजरअंदाज कर अपने बच्चों पर ध्यान दिया।
सावित्री ने अपनी बेटी अर्चना को पढ़ने के लिए मुरादाबाद के गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया जहां पढ़ाई के साथ अर्चना ने अपने क्रिकेट के कैरियर पर भी ध्यान दिया।आज अर्चना भारतीय क्रिकेट टीम का किस्सा है और बेहतर प्रदर्शन कर रही है।