नमस्कार दोस्तों कोरोना महामारी के कारण हो रही लोगों के लिए धार्मिक अड़चनों को लेकर आपको जानकारी दे देते हैं कि देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में क्या कुछ हो रहा है। वहीं बता दें कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा भी शुरू जल्द ही हो रही है लेकिन आज हम आपको आज उत्तराखंड नहीं बल्कि मुंबई में आये कोरोना काल के चलते एक धर्म संकट से रूबरू करवाते हैं।
मुम्बई-:-देश की आर्थिक धड़कन मुम्बई में कोरोना का कहर सबसे ज़्यादा आंका जा रहा है ऐसी स्थिति में भारत के सबसे मशहूर गणपति महाराज का आगमन नहीं होगा। ऐसा क्यों होगा वह भी आपको बताए चलते हैं। दरहशल आगमन के बाद जहां गणपति महाराज की मूर्ति स्थापित की जाती थी। उससे कुछ ही दूरी पर कानेंटमेट का क्षेत्र है। बता दें कि 86 वर्ष के बाद ऐसी स्थिति देखने को मिलेगी।जब महाराज का भव्य विराजमान नहीं हो पाएगा । बताया जा रहा है कि इस फैसले को लेना आसान नहीं था।
मंदिर के अध्यक्ष सुधीर साध्वी बताते हैं कि मंगलवार को ज़ूम ऐप्प पर हुई इस बैठक में 12 सौ सदस्य शामिल हुए । इस बैठक में लालबाग के आगमन को लेकर पक्ष में फैसला लेना आसान नहीं था। लगभग तीन घण्टे तक चली इस बैठक में यह फैसला लिया गया कि इस बार 22 अगस्त से शुरू गणेशोत्सव में गणपति महाराज का आगमन नहीं किया जाएगा।
मंदिर के सचिव सुधीर सालवी बताते हैं कि अगर यह गणेशतोत्सव होता तो इसमें हज़ारों श्रद्धालु जुटते एक ओर तो यह बात सही है लेकिन इसमें कोरोना का खतरा भी अत्यधिक बढ़ जाता है। इसलिये हमारा यह फैसला जनहित में लिया गया।उन्होंने एक दिल को छूने वाली बार भी कही की इस बात हम स्वास्थ्य उत्सव को गणेश उत्सव के तौर पर मनाएंगे क्योंकि हमारा मक़सद संक्रमण को फैलाना बिलकुल भी नहीं है।
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गणपत महाराज की यह मूर्ति लगभग 12 फ़ीट ऊंची रहती है और ओर इस मूर्ति को बनाने मैं लगभग 1 लाख का खर्चा आ जाता है। इस मूर्ति में मूर्ति की थीम तो बदलती है लेकिन मूर्ति हर साल एक जैसी ही नज़र आती है। इसके अतिरिक्त मंदिर समिति के सचिव सालवी ने बताया कि वे इस वार केएम हॉस्पिटल के साथ मिलेकर प्लाज़मा डोनेशन कैम्प आयोजीत करेंगे।साथ ही कोरोना मरीजों को अपनी समिति की ओर से 1 लाख रुपये की धनराशि देने की बात को भी साल्वी जी ने रखा।