तेजतर्रार भारतीय ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या अभी टेस्ट क्रिकेट के लिए अपनी चोट-वापसी से सावधान हैं, और कहते हैं कि यह इसलिए है क्योंकि वह वाइट बॉल क्रिकेट में अपने “महत्व” को समझते हैं। पांड्या ने सितंबर 2018 से एक भी टेस्ट नहीं खेला है, लेकिन सीमित ओवरों में भारतीय टीम के लिए हार्दिक ने एक बड़े हिट ऑलराउंडर के रूप में अपनी जगह पक्की कर ली है। हाल ही में उनका बैक इंजरी (back injury) का इलाज जारी है जिसके चलते उनकी पिछले साल सर्जरी हुई थी।
26 वर्षीय हार्दिक ने कहा कि, “मैं खुद को बैकअप सीमर के रूप में देखता हूं। मेरी पीठ की सर्जरी के बाद मुझे नहीं लगता कि मैं अभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकता। लेकिन अगर मैं केवल एक टेस्ट खिलाड़ी होता और वाइट बॉल क्रिकेट में क्रिकेट नहीं खेल रहा होता, तो मैं अवश्य टेस्ट में अपनी वापसी का जोखिम उठा सकता था, लेकिन मुझे सफेद गेंद क्रिकेट में अपना महत्व पता है।”
उन्होंने कहा यह भी कहा कि उनके साथ ऐसा कई बार हुआ है जब उन्होंने कई टेस्ट मैच खेलें हो और उसके बाद उनका वनडे और टी-20 क्रिकेट में खराब प्रदर्शन हो गया हो। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका प्लस पॉइंट उनकी ऊर्जा (energy) है और ज्यादा टेस्ट खेलने से उनकी ऊर्जा कम हो जाती है जिसके चलते उनका वनडे और टी-20 में प्रदर्शन खराब हो जाता है। आपको बता दे 2018 में पांड्या को पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप में एक मैच के दौरान पीठ की चोट (back injury) लगी थी जिसके बाद उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा। पांड्या ने उस दिन को याद करते हुए कहा कि उन्हें लगा कि उनका करियर खत्म हो गया है।