- मंगलवार को रेलवे प्रवक्ता राजेश बाजपेई ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर किया बड़ा ऐलान
- श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए अब राज्य सरकारों की सहमति लेना अनिवार्य नहीं
रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेई ने कहा कि अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए किसी भी राज्य की अनुमति लेना आवश्यक नहीं है। दरअसल लॉकडाउन के कारण देश के कई राज्यों में फंसे हुए मजदूर अपने अपने राज्य वापस जाना चाहते हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने इसे सोशल मीडिया के जरिये एक पोलिटिकल मुद्दा बना दिया। प्रवासी मजदूरों को कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के इस दौर में भी केंद्र सरकार उन्हें अपने अपने राज्यों में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों द्वारा पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है। तो वहीं इन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री इसके विरोध में थे जिसके चलते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो अपने राज्य में केवल कुछ ही श्रमिक ट्रेनों को आने की अनुमति दी।
दरअसल पश्चिम बंगाल के कई नागरिक भी देश के विभिन्न भागों में फंसे हुए हैं लेकिन ममता सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं है इसलिए उन्होंने अपने राज्य में कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को आने की अनुमति नहीं दी। इन सब हालातों को मध्यनजर रखते हुए मंगलवार को रेलवे ने ऐलान किया कि अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए किसी भी राज्य की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं होगा। इसके साथ साथ ग्रह मंत्रालय ने भी राज्यों समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों और रेलवे को यह आदेश दिया है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाते समय यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग का पूरा ध्यान रखा जाए, और केवल स्वस्थ यात्रियों को ही ट्रेन में चढ़ने की इजाजत दी जाए। ग्रह मंत्रालय ने यह भी कहा कि यात्रा के दौरान सभी यात्रियों को सामाजिक दूरी का भी विशेष ध्यान रखना होगा। श्रमिक स्पेशल ट्रैन पहली बार 1 मई को चलाई गई थी और तब से लेकर अब तक 20 लाख से ज्यादा मजदूरों को उनके अपने अपने शहर पहुंचाया जा चुका है।