बात है 8 मई 2020 की जब भारत के रक्षा मंत्री ने लिपुलेख दर्रे में 80 km सड़क का निर्माण किया तो नेपाल ने इसमें कठोर नाराजगी जताई भारत और चीन के बीच में युद्धस्तर तक पहुंचने वाले तनाव पर नेपाल के pm अब चीन के साथ जाते दिखाई दे रहे हैं।इससे पहले ओली सरकार ने भारत के नक्शे पर लिपुलेख कालापानी ओर लिम्पियधुरा को लेकर भारत की कड़ी निंदा की और इस बात का विरोध करते हुए नेपाल का नया नक्शा जारी कर दिया जिसमें नेपाल ने भारत के इन तीन अहम हिस्सों को इस नक्शे मैं दर्शाया।
क्या कह रहे है पुराने दस्तावेज: सूत्रों के हवाले से ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने नेपाल से जो इलाके छीने थे उसमें भारत ने इनपर कब्जा नहीं किया था 1961 के पहले ये नेपाल में हिस्से दरी रखते थे लेकिन बाद में इनको नेपाल से अलग होता दिखाई दिया तब भारत ने इन लोगों को शरण देदी अब इतने साल बीत जाने के बाद नेपाल यह बात उठा रहा है।
1 से 2 मौकों में यह देखने को मिला जब नेपाल के लिए भारत और चीन ने एक दूसरे पर भरोसा कर लिय। यही कंडीशन लिपुलेख ओर कला पानी में देखने को मिलती है। नेपाल अछि तरह से 1954 को तिब्बत पर हुए भारत चीन समझौते को जनता है जिसमें भारत में लिपुलेख को शामिल किया गया था। 8 मई को जिस सड़क का उदघाटन रक्षा मंत्री द्वारा किया गया दरहशल उस सड़क को 2015 में मोदी ने चीन के दौरे पर जाते समय लिपुलेख के द्वारा ट्रेड रास्ते को बढ़ावा देने के लिए भारत चीन के बीच में समझौते का एक हिस्सा बताया ।जब यह जानकरी नेपाल के प्रधानमंत्री को उस समय मिली तो उन्होंने इस बात का विरोध किया। बता दें कि उस वक्त नेपाल के pm सुशील कोइराला थे।