साल 2019 में आई आपदा में उत्तराखंड के उत्तरकाशी के ध्वस्त हुए भवन आज भी सही नहीं हो पाए हैं. हालात इतने ज्यादा खराब हो चुके हैं कि सरकार को भी अब इस बात से कोई भी ताल्लुक नहीं रखना है. इस वजह से बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है. यही वजह है कि राजकीय इंटर कॉलेज टिकोची की जर्जर बिल्डिंग हर किसी को चिंता में डाल रही है.
अभी तक उसी स्कूल के भवन का निर्माण तक नहीं हो पाया है. यहां स्कूल 2019 में आई आपदा में पूरी तरह से नष्ट हो गया था. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने बड़ी मशक्कत के बाद तीन कमरों को खड़ा किया था. मगर बरसात के वक्त इन कमरों में भी पानी गिरने लगता है जिस वजह से छात्रों को छाता लेकर पढ़ाई करनी पड़ती है.
बरसात की वजह से यहां पर भी बच्चे और अध्यापक रिस्क लेकर स्कूल आ रहे हैं. हालात इतने ज्यादा खराब है कि बारिश के मौसम में या छत पूरी तरह से टपकने लगती है. स्कूल की पूरी बिल्डिंग बहुत ही ज्यादा पुरानी हो गई है. जिस वजह से छात्रों को मजबूरी में आकर छाता लेकर पढ़ाई करनी पड़ती है. मगर सरकार और प्रशासन को इस बात से कोई भी मतलब नहीं है और ना ही वह इन बच्चों की कोई सुध ले रहे हैं. इस स्कूल पर कई गांवों के बच्चे आश्रित हैं.
उत्तरकाशी जिले के मोरी विकासखंड के राजकीय इंटर कॉलेज टिकोची में क्षेत्र के दूचाणू, किराणु, गोकुल, बरनाली, झोटाड़ी, चिंवा, बलावट, मौंडा, जागटा, माकुड़ी, डगोली समेत 14 गांवों के बच्चे अध्ययनरत हैं. प्रधानाचार्य युद्धवीर सिंह रावत बताते हैं कि आपदा से पहले वर्ष 2019 में जीआईसी टिकोची में 280 छात्र बच्चे अध्ययनरत थे. मगर आपदा आने पर कॉलेज भी आपदा की चपेट में आ गया. जिस वजह से छात्रों के बैठने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं हो पा रही है. अभी वर्तमान समय में कॉलेज में लगभग 153 छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं.
यहां छात्रों के लिए ना तो कोई खेल का मैदान है और ना ही अध्ययन के लिए कोई पर्याप्त कक्षा है. जो अन्य तीन कक्ष भी बनाए गए हैं. उनकी हालत भी इतनी ज्यादा खराब है कि बारिश आने पर वह भी टपकने लगते हैं और छात्रों को कक्षा के भीतर भी छाता लेकर पढ़ाई करनी पड़ती है. जिसके बाद उन्होंने प्रशासन से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करने और स्कूल के भवन का अच्छे से निर्माण करने की अपील की है.