उत्तराखंड राज्य के टिहरी डैम के बारे में आप सभी जानते होंगे. जो की पुरानी टिहरी के ऊपर बना हुआ है. इस डैम से बहुत सारे अन्य राज्यों को भी बिजली दी जाती है. मगर आजकल टिहरी डैम का जलस्तर कम होने के कारण राजा दर्शन शाह द्वारा बताई गई पुरानी टिहरी का राज महल दिखने लगा है.जिसे देखकर वहां पहले रहने वाले लोग बहुत ही ज्यादा भावुक हो रहे हैं और वहां की पुरानी यादें उनके दिलों में ताजा हो रही है.
डूबे हुए राज महल को देखने के लिए झील के आसपास लोगों की काफी भीड़ जमा हो रखी है. टिहरी बांध का जलस्तर कम होने के कारण पुरानी टीवी का राज महल और रानी दरबार का हिस्सा भी दिखने लगा है. मगर अब पुरानी टिहरी वहां रहने वाले लोगों की यादों में ही रह गई है.टिहरी बांध का जलस्तर कम होने के कारण वहां के खेत खलियान और अन्य मकान भी दिखने लगे हैं.
इसे देखने के लिए देहरादून ऋषिकेश और अन्य कई जगहों से लोग आ रहे हैं. आज भी लोगों के दिल में अपनी पुरानी टीवी की यादें इतनी ज्यादा ताजा है कि वहां अपने डूबे हुए शहर को देखकर और उसकी यादों को याद करके भावुक हो जाते हैं. वहां रहने वाले लोगों का कहते हैं कि जब भी टिहरी बांध का जलस्तर कम होने की वजह से पुरानी टीवी दिखाई देती है तो वह अपने आंसुओं को रोक नहीं पाते हैं.
पुराने लोग बताते हैं कि इस जगह में त्रिदेव( ब्रह्मा, विष्णु और महेश) स्नान करने आया करते थे. इसीलिए इस जगह को त्रिहरि के नाम से जाना जाता था. 2006 से यह राज महल कई बार टिहरी बांध का जलस्तर कम होने के कारण बता रहा है और जैसे ही झील का जलस्तर बढ़ता है तो यहां भी पानी के अंदर डूब जाता है. टिहरी बांध का जलस्तर कम से कम 740 आरएल मीटर तक जब भी आता है तो पुरानी टीवी का राज महल देखने लगता है.
पुरानी टिहरी शहर का योगदान देश हित के लिए दिया गया था. पुराना टिहरी 3 नदियों से घिरा हुआ था जो कि विलुप्त हो गई थी. उन तीनों नदियों का नाम है भागीरथी, भिलंगना और घत गंगा. इस शहर को 28 दिसंबर 1815 में राजा सुदर्शन शाह ने बसाया था. जब इस शहर को बसाया गया था तो ज्योतिष ने यहां बताया था कि यहां शहर अल्पायु होगा.
जिसके बाद 1965 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री केएल राहुल ने टिहरी बांध बनाने की घोषणा की. इसके बाद 29 जुलाई 2005 को टिहरी शहर में पानी घुस गया. करीब 100 परिवारों को जिस वजह से अपना शहर छोड़ना पड़ा. इसके बाद 29 अक्टूबर 2005 को टनल 2 को बंद कर दिया गया. जिसे बात से शहर में पानी भरना शुरू हुआ और 30 जुलाई 2006 में टिहरी बांध से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया गया.
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इस बारे में पुरानी टिहरी की महारानी और टिहरी सांसद राज्य लक्ष्मी शाह का कहना है कि हमने पूरे देश के लिए अपने खेत खलिहान मकान महल और एक पूरी सभ्यता का योगदान दिया है. जिसे पूरे देश के द्वारा कभी भी बुलाया जा नहीं सकता. जब भी कभी पुरानी टिहरी के बारे में बात होती है. तो पुराने टिहरी से जुड़ी हुई यादें जेहन में ताजा हो जाती हैं और इन यादों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता.
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जब भी तेरी झील का जलस्तर कम होता है. तो राज महल खड़ा दिखता है. तो यह देखकर बहुत गर्व महसूस होता है की झील में डूबने के बावजूद भी राज्य महल पहले जैसे ही खड़ा है. स्थानीय लोगों ने यहां मांग भी की जब टिहरी बांध का जलस्तर कम हो जाता है. तो चाहे पर्यटन विभाग हो या फिर जिला प्रशासन हो उनको राज महल और पुरानी धरोहर रोहतक आने जाने के लिए नाव लगानी चाहिए.
इस कदम से पर्यटन को बढ़ावा भी मिल सकता है.साथ ही लोगों का कहना है कि टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों को सीएसआर मद से तेरी झील के किनारे पुरानी टिहरी के तर्ज पर प्रतीकात्मक पुरानी टीवी का मॉडल बनाना चाहिए. जिससे कि आने वाली पीढ़ी को या पता लग सके कि टिहरी बांध के अंदर देश हित के लिए एक सुंदर से शहर और उसकी सभ्यता और संस्कृति ने जल समाधि ले ली थी.