Uniform Civil code in Uttarakhand: उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बनने वाला है जोकि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है. अभी तक देश के किसी भी राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं हुआ है. उत्तराखंड राज्य से लागू करके एक ऐतिहासिक निर्णय लेने वाला है. जिसे इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. गुजरात और मध्यप्रदेश को भी उत्तराखंड के यूसीसी ड्राफ्ट का इंतजार है. जस्टिस रंजना प्रसाद देसाई की अध्यक्षता में बनी एक विशेषज्ञों की समिति ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में लगी हुई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने दिनांक 30 जून तक समिति से रिपोर्ट प्राप्त होने की अपेक्षा की है. मगर प्राप्त हो रही जानकारी से पता चलता है कि वह रिपोर्ट जुलाई महीने के पहले हफ्ते मैं प्राप्त की जा सकती है.
वहीं भाजपा के द्वारा शासित राज्य मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है. उन दोनों राज्यों को भी इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है. बताया जा रहा है कि मई 2022 में इस विशेष समिति को बनाया गया था. जब से यहां समिति बनी है तब से लेकर अब तक समिति को लगभग ढाई लाख से ज्यादा सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त चुके हैं. समिति ने आश्वासन देते हुए कहा है कि निर्णय सबके हित में आएगा.
उत्तराखंड राज्य से इसकी शुरुआत हुई है. अब इस यूनिफॉर्म सिविल कोड कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानते हैं जिनके बारे में जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है और जिन पर बदलाव होने की संभावना भी है. यूसीसी में सभी धर्मों की लड़कियों की शादी की उम्र को एक ही रखने का प्रस्ताव भी रखा गया है. तुम की पर्सनल लॉ और कई सारी अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की शादी करने की उम्र 18 साल से कम है. यूसीसी के बाद सभी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ सकती है.
वही देशभर में विवाह को पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है. क्योंकि यूसीसी के सुझाव के मुताबिक आप सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. इसके बिना किसी भी तरह की सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा. कई सारे धर्मों और सुविधाओं के पर्सनल लो बहुत सारी शादियां करने को मान्यता देते हैं.जैसे मुस्लिम समुदाय की पर्सनल लॉ के हिसाब से तीन शादियां करने की अनुमति है. वही यूसीसी के आने के बाद से बहु विवाह पर पूरे तरीके से रोक लग सकती है.
मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है. यूसीसी लागू होते हैं यह भी खत्म हो जाएगी. तलाक लेने के लिए पति और पत्नी के आधार अलग-अलग हैं. यूसीसी के लागू होते ही दोनों के समान आधार हो जाएंगे.बहुत सारे धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में कोई भी अधिकार नहीं दिया जाता है. यूसीसी ने सभी को समान अधिकार दिया गया है. यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का सुझाव भी दिया गया है. जिसके अनुसार बच्चों की संख्या सीमित करने और नियम का उल्लंघन करने पर सरकारी सुख-सुविधाओं के लाभ से वंचित करने का सुझाव भी है.