उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं और उनकी बदहाली आज किसी से भी छुपी नहीं है. जी हां पहाड़ के अस्पताल आप सिर्फ रेफरल सेंटर बन चुके हैं. जिसके चलते कई बार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. हाल ही में बागेश्वर जिले में एक छात्रा को सांप ने डस लिया था, जिस पर उसके परिवार वालों ने उपचार करने की गुहार लगाकर चार अस्पतालों के चक्कर काटे मगर फिर भी वह उसकी जान नहीं बचा पाए.
उत्तराखंड की पहाड़ के इस सिस्टम की लापरवाही और रेफरल प्रणाली के बारे में विस्तार से आपको परिचित कराते हैं. यह पूरा मामला बागेश्वर जिले के गरूड़ तहसील क्षेत्र का है.जहां बैजनाथ के हरबगड़ बंतोली गांव निवासी जीवननाथ गोस्वामी की 14 वर्षीय किरन गोस्वामी 10वीं कक्षा की छात्रा थी.
किरण जंगल में घास काटने गई थी और इसी दौरान उसे एक सांप ने डंस लिया. जिसके बाद परिजन किरन को लेकर मोहन सिंह मेहता सीएचसी बैजनाथ पहुंचे. वहां पहुंचने के बाद किरन को प्राथमिक उपचार देकर बागेश्वर के लिए रेफर कर दिया गया. जिसके बाद परिजन किरन को लेकर बागेश्वर जिला अस्पताल तो पहुंचे. लेकिन किरन के परिजनों को क्या पता था यहां भी वही हाल मिलेगा.
उपचार न मिलने के कारण किरन की लगातार बिगड़ती हुई तबीयत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे अल्मोड़ा जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. वह पहुंचने पर यहां भी किरन को उपचार नहीं मिला. जिला अस्पताल अल्मोड़ा पहुंचने पर वहां से भी चिकित्सकों ने उसे हायर सेंटर सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया.
परिजन जैसे तैसे सुशीला तिवारी ज़िला अस्पताल हल्द्वानी पहुंचे. लेकिन तीन-तीन जिलों का सफर कर किरन भी बीते रोज अपनी जिंदगी से जंग हार गई. उसने एसटीएच हल्द्वानी में अंतिम सांस ली. किरन के दम तोड़ते ही परिवार जनों की भी सारी उम्मीदें टूट गई. सच कहें तो पहाड़ के अस्पताल आज रेफरल सेंटर बन कर रह गए हैं.