उत्तराखंड की ममता जोशी, चुनौतियों से नही मानी हार, पति बीमार पड़े तो टैक्सी ड्राइवर बनकर थामा पूरा घरबार

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Almora texi driver Mamta Joshi story
Almora texi driver Mamta Joshi story (Image Source: Social Media)

Texi Driver Mamta Joshi Story: हमारे भारत देश में औरतों को हमेशा से ही शक्ति का रूप माना गया है. क्योंकि औरत जिंदगी में आने वाली हर एक परिस्थितियों का डटकर सामना करना जानती है. इसी का एक उदाहरण उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले से सामने आ रहा है. जहां की रहने वाली ममता जोशी ने पति की तबीयत बिगड़ने के बाद सारे परिवार की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले ली और आजीविका चलाने के लिए टैक्सी का स्टेरिंग भी संभाल लिया.ममता के इस हौसले की हर कोई सराहना कर रहा है और यही नहीं ऐसा करते हुए ममता कुमाऊं मंडल की दूसरी महिला टैक्सी ड्राइवर बन गई है. क्योंकि इनसे पहले उत्तराखंड की पहली टैक्सी ड्राइवर बनने का खिताब अपने नाम करने वाली रेखा पांडे हैं.

रेखा पांडे कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत की रहने वाली हैं. प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले के जैनकरास की रहने वाली ममता जोशी इसी महीने से सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए टैक्सी चलाना शुरु किया है. अपनी विपरीत परिस्थितियां होने के बावजूद भी ममता ने अपने हौसले को कभी नहीं डगमगाने दिया और पहाड़ी क्षेत्रों की बेरोजगार महीनों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन के सामने आई हैं.

Almora Texi Driver Mamta Joshi:जिसकी आज हर कोई सराहना कर रहा है. बता दें कि ममता जोशी का टैक्सी रूट जैनकरास से बागेश्वर, बागेश्वर से काफलीगैर और बागेश्वर से अल्मोड़ा है. ममता ने ओम शांति टूर्स एंड ट्रैवल नाम से टैक्सी का संचालन शुरू किया है. वह हर एक दिन सुबह अपने गांव जैनकरास से बागेश्वर और बागेश्वर से काफलीगैर तक टैक्सी चलाती हैं. इस रूट के अलावा वह नंबर आने पर बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए भी सवारियों को सुरक्षित लेकर जाती है.

खोया कदम अपने परिवार को चलाने के लिए उठाना पड़ा क्योंकि उनके पति सुरेश चंद्र जोशी कि तबीयत खराब चल रही थी. ममता जोशी के पति सुरेश चंद्र जोशी लॉक डाउनलोड ने से पहले अल्मोड़ा में एक मीडिया प्रतिष्ठान में काम किया करते थे. मगर लॉकडाउन लगने के बाद उन्होंने अपनी उस नौकरी से त्यागपत्र दे दिया. जिसके बाद साल 2021 में बैंक से लोन उठा कर उन्होंने टैक्सी खरीदकर टैक्सी चलानी शुरू की. मगर उसके बाद से अचानक से सुरेश की तबीयत बिगड़ने लगी. जिस वजह से टैक्सी को कई महीनों तक खड़ी रखने की नौबत आने लगी. जिसके बाद घर में बीमार पति की दवाइयों का खर्च और बैंक की किस्त ना भरवाने के कारण बैंक कर्मचारियों के लगातार आते फोन से ममता को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद ममता ने खुद टैक्सी चलाकर परिवार का खर्चा चलाने का जिम्मा अपने सिर पर लिया.

ममता अपने दिल निश्चय की वजह से कुछ ही समय में टैक्सी चलाना सीख तो गई मगर लाइसेंस ना होने के कारण वहां व्यवसायिक तौर पर टैक्सी नहीं चला पा रही थी. जिसके बाद जैसे ही इस साल 8 मई को लाइसेंस बनकर उनके हाथों में आया उसके अगले दिन से ही ममता सवारियों को घटाकर बागेश्वर की सड़कों पर निकल पड़ी. सबसे खास बात यह है कि इंटर पास ममता जोशी टैक्सी चलाने के साथ-साथ एक कुशल ग्रहणी होने की अपनी सारी जिम्मेदारियों को बहुत ही अच्छे से निभा रही है.

वहां अपनी 3 साल की बेटी हरिप्रिया के साथ-साथ अपने सास-ससुर के लिए भी समय निकालकर उनकी सेवा करती हैं. ममता जोशी ने बताया कि टैक्सी चलाने के लिए उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा है. परिवार के साथ साथ उनके यात्रियों का भी उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है. ज्यादातर पुरुषों की नशीले पदार्थ का सेवन करने की वजह से परेशान सवारियां ममता की टैक्सी मैं बेझिझक बैठकर सफर का पूरा लुत्फ उठाती है.

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