उत्तराखंड में चार दिनों में 46 से ज्यादा जंगलों में खतरनाक आग ने कहर बरपा रखा है जिससे कई वाइल्डलाइफ स्पीशीज को नुकसान हुआ है। बढ़ते तापमान के कारण पूरे उत्तर भारत में काफी गर्म हवाएं चल रही हैं जिसके चलते यह क्षेत्र 26 मई को दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान के साथ साथ दुनिया भर में सबसे गर्म क्षेत्र बना था।
वहां पर बड़ी संख्या में रहने वाले जानवरों की प्रजातियों को जीवित रहने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। वन विभाग के अनुसार, 23 मई को सबसे पहले श्रीनगर जिले के एक जंगल में आग गली थी और तेज हवाओं के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया है। पहाड़ी राज्य में 38,000 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र हैं जो ब्रह्म कमल से लेकर प्रसिद्ध पौराणिक संजीवनी बूटी तक 1145 प्रजातियों के पौधों का घर है। राज्य में यह ऐसे समय में आया है जब वहां कोरोनोवायरस के 401 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 4 मरीजों की मौत भी हो गई है और 64 लोग ठीक भी हुए हैं।
आग ने 71 हेक्टेयर वन भूमि को प्रभावित किया है, जिससे वहां रहने वाली सैकड़ों प्रजातियों का जीवन खतरे में पड़ गया है। कुमाऊं क्षेत्र में सबसे ज्यादा 21 जगहों पर आग लगी है और गढ़वाल रीजन के 16 जगहों पर आग लगी है।
सरकार के अनुसार, यह वन्यजीवों के लिए सबसे बुरा साल नहीं है क्योंकि रुक-रुक कर बारिश और उच्च नमी का स्तर ऐसे कई अन्य घटनाओं को रोकने में मदद कर रही है। प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने एक ट्वीट में कहा, “इस सीजन में आंशिक रूप से कम मानवजनित गतिविधि और रुक रुक के बारिश के कारण जंगल में आग लगने की घटनायें बहुत कम हुई है। हालांकि ऐसी विनाशकारी घटनाएं हर साल बढ़ते तापमान के कारण होते रहते हैं। राज्य में पिछले साल 25 मई तक 1,590 जंगलों में आग लगने के मामले दर्ज किए गए हैं।”