
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मजबूत संकल्प शक्ति और दूरदर्शी नीति ने उत्तराखंड को एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण तोहफा दिया है, जो राज्य के विकास, प्रगति और समृद्धि में नए आयाम जोड़ेगा। पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में दो बड़ी रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, जो राज्य की कनेक्टिविटी और पर्यटन को नया आयाम देंगी। सोनप्रयाग-केदारनाथ के बीच 12.9 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण पर 4081.28 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जबकि गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब के बीच 12.4 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण पर 2730.13 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह परियोजना राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थलों तक पहुंचना आसान बनाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में रोपवे परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा की, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन परियोजनाओं के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री से केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी देने का अनुरोध किया, ताकि तीर्थयात्रियों को इन पवित्र स्थलों तक पहुंचने में आसानी हो। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रोप-वे परियोजना के लाभों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह परियोजना उत्तराखंड के पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी। इन रोप-वे परियोजनाओं के माध्यम से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए अंतिम मील तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी, जिससे उनकी यात्रा तेज, सुगम, सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक हो जाएगी।
इससे पर्यटकों को दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित प्रमुख तीर्थस्थलों तक पहुंचने में आसानी होगी और उनका यात्रा का अनुभव और भी सुखद और यादगार बनेगा। मुख्यमंत्री धामी की पहल और केंद्र सरकार के साथ मजबूत समन्वय के परिणामस्वरूप यह ऐतिहासिक परियोजना स्वीकृत हुई। इन रोप-वे परियोजनाओं का न केवल धार्मिक पर्यटन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था, रोजगार के अवसरों और बुनियादी ढांचे के विकास को भी बढ़ावा देंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के प्रति विशेष लगाव और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सतत मेहनत और प्रयासों का परिणाम है कि केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोप-वे परियोजनाएं अब साकार होने जा रही हैं। यह परियोजना न केवल तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास और पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। यह परियोजना उत्तराखंड के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में मदद करेगी।