उत्तराखंड पलायन: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही पलायन की समस्या का समाधान,वरना इसका खामियाजा भविष्य में देवभूमि वासियों को भुगतना पड़ेगा

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Migrantion in uttrakhand biggest problem

पलायन उत्तराखंड
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक बार हमारी वेबसाइट है दरहशल आज हम आपको बताने जा रहें हैं देवभूमि उत्तराखंड राज्य में लगातार बढ़ रहे पलायन के बारे में जिसका खामियाजा भविष्य में देवभूमि के वासियों को भुगतना पड़ेगा।

उत्तराखंड- उत्तराखंड राज्य भारत की उत्तर दिशा में बसा क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा लेकिन प्राकृतिक सुंदरता से लगातार मन को मोहने वाला एक खूबसूरत राज्य है लेकिन मानों आज इसको किसी की नज़र सी लग गयी हो।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड में 2019 में एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 3 लाख से ज्यादा लोग पलायन के पथ पर चल पड़े हैं। इनमें कुछ लोग तो सालभर में देवभूमि के दर्शन कर लेते हैं ,लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो गांव छोड़कर चले गए थे लेकिन कभी वापस नहीं आये।

क्यों उत्तराखंड में पलायन बढ़ रहा है।
दोस्तों यह बोलने में कुछ हर्ज़ नहीं होगा कि उत्तराखंड के लोग आलसी होंने के साथ साथ सरकार और अन्य राज्यों पर निर्भर हैं। वास्तव में यही निर्भरता उत्तराखंड को आगे आने की बजाय पीछे पलायन के गड्ढे की ओर झोंकती जा रही है। वैसे देखा जाय तो उत्तराखंड खंड में इतने प्राकृतिक संसाधनों के भंडार मौजूद हैं कि इनमें से अगर इनका 30 फीसद प्रयोग भी उत्तराखंड के लोगों लोगों ने सही तरीके से प्रकृति को बिना किसी नुकसान पहुंचाए कर लिया तो जो वर्तमान जीडीपी(gross domestic product) उत्तराखंड की 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर है वो काफी गुनी बढ़ जाएगी औऱ उत्तराखंड के विकास के लिए इतना पैसा उत्तराखंड में ही पैदा कर लिया जाएगा कि उत्तराखंड के लोगों को विकसित होने के लिए न तो किसी सरकार की आवश्यक्ता होगी और न ही किसी निर्भरता की यह तो आप भी भली भांति जानते हैं कि उत्तराखंड की भूमि कितनी उपजाऊ है लेकिन आज गांव खंडर पड़े हैं तो वहीं यहां की भूमि बंज़र पड़ी है। यहां आलसी लोग यह ज़रूर बोल देंगे कि “हम जो कुछ भी खेती करते हैं या तो उसे बन्दर खा जाते हैं औऱ या तो सुअर उस फसल को रहने नहीं देते” लेकिन ये लोग थोड़ा सा दिमाग लगाकर अपने गांव के मुखिया/प्रधान के पास नहीं जाते हैं,उससे सीधे रूप से जाकर यह बात नहीं कर लेते कि भाई जिस मनरेगा के पैसे से तुम जंगलो में रास्ते बना रहे हो,जो किसी शायद ही उपयोगी होंगे इससे अच्छा तुम इस पैसे को सही जगह लगाकर अर्थात गांवों में कुछ छोटे बड़े उद्योग खुलवा दो,टेक्नोलॉजी खेती करवा दो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता हमारे गांवों में लेकिन जिस दिन हमारे द्वारा कहि गयी इस बात पर काम हो गया ताल ठोककर कहते हैं कि उस दिन देवभूमि के गांवों का विकास निश्चित है। इसके अलावा मित्रों बहुत से और भी विकल्प हो सकते हैं गांवों के रूप रेखा बदलने के लिऐ बाकी सोचना गांव वालों को है। हम से सहमत लोग ज़रूर comment सेक्शन में अपने विचार बांधें।

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उत्तराखंड का शिक्षा स्तर-
चलिए अब आपको उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली के बारे में भी बताए चलते हैं। दोस्तों आप यह जानकर हैरान होंगे कि उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली के द्वारा भी आज उत्तराखंड के लोग पलायन के पथ पर चल रहें हैं। उत्तराखंड एडुक्शन सिस्टम या फिर एक मजाक माँ बाप अपने बच्चों को दिनभर खून पसीने की मेहनत से यह कहकर स्कूल भेजते हैं कि जो काम हम न कर पाए वह काम हमारा बेटा/बेटी करके दिखाएगी लेकिन,लेकिन,लेकिन दोस्तों यहां के स्कूल कुछ और ही करने को बैठें है। स्कूलों में इतिहास की मोटी मोटी किताबों को बच्चे को मार मार के तो खूब रटवाया जाएगा किन्तु उसे वर्तमान में किस संसाधन की पहचान कैसे करनी है। क्या क्या नई नई खोजें उत्तराखंड में उपलब्ध संसाधनो से की जा सकती हैं इसके बारे में कतई नही बताया जाएगा। फिर वही बच्चा किसी भी तरह जब 12th पास करलेता है तब उसे किताबी ज्ञान तो बिल्कुल होता है लेकिन अपने पर्यावरण के बारे में वह कुछ नहीं जानता। फिर वह 5-10 हज़ार के लिए या तो पलायन कर देता है या फिर उत्तराखंड में रहकर ही मनरेगा में बड़ी मेहनत करके मात्र 2 से 3 हज़ार रुपये कमा पाता है। हमारे हिसाब से उत्तराखंड में शिक्षा नीतियों को बदला जाना चाहिये सरकार को साइंस औऱ इन्नोवेशन पर फोकस करना चाहिए। तब जाकर कुछ हो सकता है।

वास्तव ने पलायन ने देवभूमि पर ऐसा प्रभाव डाला है कि जो आने वाले समय में भयावह हो सकता है इसी संदर्भ में एक छोटी सी वीडियो हमारे चैनल द्वारा आपको दिखाते हैं। जो काफी हद तक आपके अंदर पलायन को कुचलने के लिए एक जोश उत्त्पन्न कर देगी।
तो इसकी के साथ धन्यवाद दोस्तों।

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