अल्मोड़ा: “उत्तराखंड मांगे भू कानून”, यह वाक्य जितना छोटा और सरल मालूम पड़ता है इसके पीछे छिपा संघर्ष उतना ही कठिन और लंबा है। उत्तराखंड राज्य में वर्षो से चल रही भू कानून की मांग को एक नया मोड़ दिया है अल्मोड़ा जिले के इस गांव ने। जानकारी के लिए बता दे की भू कानून अर्थात भूमि के लिए बने नियम कायदे उत्तराखण्ड राज्य के लिए बनाने की पहल कई वर्षो से चल रही है।
इस पहल को कई चीजों ने अलग अलग ढंग से कभी सराहा तो कभी इसका विरोध किया। भू कानून निर्माण की इस जंग में नव युवक युवती भी बड़ चडकर प्रतिभाग करते नजर आए।एक ऐसी ही खबर आ रही है उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जिले की सल्ट तहसील से जहा हमे मिलता है कालीगढ़ गांव।
कालीगढ़ गांव के ग्रामिणो ने भू कानून की पहल में अपना योगदान देते हुए अपने गांव का भू कानून सर्वसहमति से तैयार कर लिया है। उन्होंने बताया की ग्राम पंचायत ने याद फैसला लिया है की कोई भी बाहरी व्यक्ति ना ही गांव में जमीन खरीद सकता है ना कोई गांव वासी किसी बाहरी व्यक्ति को जमीन बेच सकता है और अगर कोई यह करता पाया गया कोई इसे दंडनीय अपराध समझा जाएगा। गांव के मुख्य द्वार पर ग्रामीणों ने बोर्ड भी स्थापित कर दिया है।
कालीगढ़ की भूमि लगभग 300 हेक्टेयर में फैली हुई है जहा कम से कम 600 परिवार निवास करते है। ग्रामीणों का कहना है की उन्होंने यह फैसला अपनी धरोहर अपनी संकृति तथा अपने रितिरिवाजो को बचाए रखने को किया है जिसे की बाहरी लोगों के आगमन से नुकसान पहुंच रहा है। गांव वासियों ने पलायन तथा गांव छोड़ चुके परिवारों को रोजगार दिलाने तथा वापस गांव बुलाने के लिए कार्य करने का भी फैसला किया है। टिहरी जिले के भेनगी गांव के बाद यह दूसरा गांव बन चुका है जहा के ग्रामीणों ने यह मुहिम शुरू की है।