उत्तराखण्ड की बेटी गीता ने पिरुल से बनाई राखियां, देश के साथ-साथ विदेश से भी आ रही डिमांड

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Uttarakhand's daughter Geeta made beautiful rakhis from Pirul
Uttarakhand's daughter Geeta made beautiful rakhis from Pirul (Image Source: Social Media)

उत्तराखंड राज्य हमेशा से ही वन संपदा के मामले में काफी ज्यादा समृद्ध रहा है. यहां चीड़ के पेड़ बहुत ही ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. उत्तराखंड राज्य में लगभग 500 से 2200 मीटर की ऊॅचाई पर पाए जाने वाले चीड़ के पेड़ों की पत्तियां यानि पिरुल अक्सर जमीन में बिखरी पड़ी रहती है. जिनको बेकार समझा जाता है. मगर उत्तराखंड के ही कुछ होनहार लोगों ने इसे अपने व्यवसाय का साधन बना लिया है. वह इन से फूलदान, टोकरी, कटोरियां और साजो-सज्जा का सामान बनने लगे हैं. जोकि लोगों को बहुत ही ज्यादा पसंद आ रहे हैं.

जिससे अब धीरे- धीरे पिरूल का इस्तेमाल कर महिलाएं प्लास्टिक और पर्यावरण प्रदूषण से तो छुटकारा पा ही रही है साथ ही साथ यहां गांव की महिलाओं के लिए आगे बढ़ने और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का भी साधन बन रहा है. इसी क्रम में अब उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में मानिला गांव की गीता पंत भी पिरूल को वरदान बनाने में जुटी हैं.

गीता पिरूल से बालों के जूड़े के क्लिप, तरह तरह की टोकरियां, फ्लावर पॉट, पेन स्टैंड, कान के झुमके, टी कॉस्टर, वॉल हैंगिंग जैसे दर्जनों डेकोरेटिव आइटम तो बना ही रही है. जिसके बाद अब रक्षाबंधन के मौके पर वह इस से राखियां भी बना रही है. जिनकी डिमांड विदेशों में भी काफी ज्यादा बढ़ रही है. इस बारे में गीता ने बताते हुए यहां कहा कि पिछले 2 साल से पारुल से बनी राखियों की डिमांड बहुत ही ज्यादा बढ़ गई है.

पिरुल से बनी इन राखियों को उत्तराखंड व अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेश में भी काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है. जिससे उन्हें काफी अच्छी आमदनी हो जा रही है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर के साथ ही गाजियाबाद, दिल्ली, देहरादून, नोएडा, फरीदाबाद से भी पिरूल की राखियों की डिमांड आती रहती है. उत्तराखंड राज्य के सल्ट ब्लाक की रहने वाली गीता पंत लाल बहादुर शास्त्री संस्थान हल्दूचौड़ से बीएड कर चुकी हैं.

मगर उन्होंने शहर का रुख करने की बजाय गांव में ही रह कर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाते हुए पिरूल जैसे वेस्ट मटीरियल का सदुपयोग कैसे हो इस पर कई वीडियो देखकर अल्मोड़ा की ही मंजू आर शाह से संपर्क किया जो पिरूल के क्षेत्र में शानदार काम कर रही हैं.गीता ने उनसे शुरुआती ट्रेनिंग लेने के बाद खुद ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ने लगी और अपने इस हुनर को निखारने लगी. इस बारे में गीता का यह कहना है कि पारुल जैसे वेस्ट मटेरियल को बेस्ट बनाने की इस मुहिम में वह अन्य लड़कियों को भी अपने साथ जोड़ना चाहती हैं. जिससे कि वह लड़कियां भी आत्मनिर्भर बनकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर पाए.

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