हल्द्वानी – प्रदेश के रोडवेज विभाग की हालत बहुत खराब बनी हुई है और सालों नौकरी करने के बाद भी 137 कर्मचारी अब तक रोडवेज दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। कोरोना महामारी के आने के बाद से आर्थिक मंदी से जूझ रहा महकमा भुगतान नहीं कर पाया है। और इतना ही नहीं, ड्यूटी पर तैनात 6000 के लगभग कर्मचारी और अफसरों को 5 महीने से तनख्वाह भी नहीं मिल पाई है और फिर फरवरी आते-आते अब छठा महीना भी बिल्कुल खत्म होने वाला है। वही बजट मामलों में निर्णय मुख्यालय स्तर से होने के कारण स्थानीय अफसर कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
उत्तराखंड रोडवेज की आर्थिक स्थिति कई सालों से बदहाल नज़र आ रही है। विशेष श्रेणी के तहत करवाई गई मुफ्त यात्रा का भुगतान लंबे समय से नहीं हुआ। और अगस्त से रोडवेज के कर्मियों को तनख्वाह भी नहीं मिली और नवंबर 2019 से अब तक सिर्फ नैनीताल के आठ डिपो से केवल 137 लोग सेवानिवृत्त हुए हैं।
तीन रीजन के साथउत्तराखंड में रोडवेज बांटा हुए है।देहरादून, टनकपुर और नैनीताल रीजन। इनमें छह हजार लोग काम कर रहे हैं और अफसर बताते हैं कि निगम को हर महीने करीब दो करोड़ रुपए की जरूरत होती है तो इन्हीं से रोडवेज को सैलरी बांटनी होती है। अगर देखा जाए तो 5 महीने का भुगतान करने को एक अरब से ज्यादा का बजट चाहिए। अफसर भी मानते हैं कि इतना बजट जारी होना असंभव है। इसके साथ उम्मीद है कि अगले सप्ताह अगस्त की तनख्वाह जारी हो जाएगी।अन्य भुगतान नहीं हो रहे हैं और सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी मुख्यालय के चक्कर काट – काट कर परेशान है गए हैं। कुछ लोग तो कोर्ट भी जा पहुंचे हैं।रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कमल पपनै ने बताया कि परिवहन निगम छोटी सी गलती पर कर्मचारियों पर रिकवरी और अन्य कार्यवाही करने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाता और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के भुगतान की बात आती है तो इस मामले में रोडवेज कुछ जवाब ही नहीं देता है।