उत्तराखंड में ग्रामीण पलायन को रोकने में मनरेगा की महत्वपूर्ण भूमिका है, राज्य सरकार ने केंद्र से मजदूरी दरों में वृद्धि का आग्रह किया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जा सके। मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं, जिससे लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सके और पलायन पर रोक लगे। राज्य सरकार ने भौगोलिक चुनौतियों को देखते हुए मजदूरी दरों में वृद्धि का आग्रह किया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जा सके और लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सके।
उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार से मनरेगा के तहत मजदूरी दरों में वृद्धि की मांग की है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जा सके। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि राज्य की विषम भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए मजदूरी दरों को राष्ट्रीय औसत 289 रुपये प्रतिदिन के समान करने का अनुरोध किया गया है। वर्तमान में उत्तराखंड में मनरेगा मजदूरी दर 237 रुपये प्रतिदिन है। सरकार का कहना है कि मजदूरी दरों में वृद्धि से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सकेगा।
उत्तराखंड में मनरेगा ने कोरोनाकाल के दौरान ग्रामीण पलायन को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव लौटे और मनरेगा के तहत रोजगार के अवसरों में रुचि दिखाई। राज्य में 10.37 लाख परिवारों को मनरेगा के तहत जाबकार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 7.94 लाख परिवार इसका लाभ ले रहे हैं। पिछले वर्ष मनरेगा के तहत 139.48 लाख मानव दिवस सृजित किए गए थे, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अब सरकार ने मजदूरी दर में वृद्धि का फैसला किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सकेगा।
उत्तराखंड में मनरेगा मजदूरी दर में इस वर्ष मामूली वृद्धि हुई है, जो केवल सात रुपये प्रति दिन है, जिससे मजदूरी दर 237 रुपये प्रतिदिन तक पहुंच गई है। लेकिन अन्य हिमालयी राज्यों की तुलना में यह दर अभी भी काफी कम है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मजदूरी दरों में परिवर्तन का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, इसलिए राज्य सरकार ने केंद्र से मजदूरी दर में वृद्धि का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मजदूरी दर में वृद्धि से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सकेगा।
भारत के विभिन्न राज्यों में मनरेगा मजदूरी दरों में अंतर है। हिमालयी राज्यों में मणिपुर में सबसे अधिक 272 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दर है, जबकि सिक्किम में 249 से 374 रुपये प्रतिदिन तक की मजदूरी दर है। लद्दाख में 259 रुपये प्रतिदिन, मिजोरम में 266 रुपये प्रतिदिन, असम में 249 रुपये प्रतिदिन, मेघालय में 254 रुपये प्रतिदिन, हिमाचल प्रदेश में 236 से 259 रुपये प्रतिदिन, उत्तराखंड में 237 रुपये प्रतिदिन, त्रिपुरा में 242 रुपये प्रतिदिन, नगालैंड में 234 रुपये प्रतिदिन और अरुणाचल प्रदेश में 234 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दर है।