आखिर कौन है इस घर का मालिक? जिसने रोक दिया दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे का काम

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Who is the owner of this house? Who stopped the work of Delhi Dehradun Expressway
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एक किसान की जमीन को लेकर दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य ठप हो गया है, क्योंकि उसने अपनी जमीन देने से ही मना कर दिया है। वहीं मंडोला गांव के निवासी वीरसेन ने अपनी भूमि के अधिग्रहण के संबंध में मुआवजे की मांग को लेकर अदालत में एक मामला दायर किया था, जिसे अब उनके पोते आगे बढ़ा रहे हैं। जानकारी मिली है कि दिल्ली और देहरादून के बीच सीधी सड़क संपर्कता स्थापित करने के लिए बन रहे दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य अचानक ठप हो गया है।दिल्ली-देहरादून एक्स्याप्रेसवे परियोजना के निर्माण कार्य में गाजियाबाद के मंडोला गांव में एक बाधा उत्पन्न हुई है, जहां एक किसान की जमीन और मकान इस एक्स्याप्रेसवे के मार्ग में आ रहे हैं।

साथ ही किसान द्वारा अपनी जमीन देने से इनकार करने के बाद, यह मामला लगभग 17 साल से अदालत में लंबित है, जिसमें अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। वहीं अब एनएचएआई ने एक्सप्रेसवे के अधिकांश हिस्से का निर्माण पूरा कर लिया है, लेकिन लगभग 1600 वर्ग मीटर के इस विवादित प्लाट के कारण यह हिस्सा अभी भी अधूरा है। वर्तमान में, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के साथ इस प्लाट और मकान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं, जो इस विवाद को लेकर लोगों की रुचि को दर्शा रही हैं। बता दे कि एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार, यह प्लाट और मकान मंडोला के निवासी वीरसेन के स्वामित्व में है, जो वर्ष 1998 में हाउसिंग बोर्ड द्वारा लॉन्च की गई मंडोला आवासीय परियोजना का हिस्सा हैं।

वहीं हाउसिंग बोर्ड ने इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की, लेकिन वीरसेन ने मुआवजे की राशि को कम बताते हुए अपनी जमीन देने से मना कर दिया। हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद जमीन के अधिग्रहण पर रोक लग गई, लेकिन हाउसिंग बोर्ड ने साल 2008 तक इस जमीन पर कब्जा पाने के लिए कई कोशिशें कीं। बता दे कि एनएचएआई के दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के लिए जमीन की तलाश के दौरान, हाउसिंग बोर्ड ने अपनी अधिग्रहित जमीन पर एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए मार्किंग करा दी, जिससे यह जमीन एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए आरक्षित हो गई। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में वीरसेन की जमीन और मकान भी शामिल था।

जब एनएचएआई ने उनसे जमीन खाली करने को कहा, तो वीरसेन ने अदालत के आदेश के कागज दिखा दिए, जिससे एनएचएआई को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। साथ साथ कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वीरसेन की जमीन की पैमाइश हुई। उनके निधन के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अब उनके पोते लक्ष्यवीर इस मामले को आगे बढ़ा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का जल्द निपटारा करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।

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