क्रिस श्रीकांत ने भले ही सिर्फ चार टेस्ट और 13 एकदिवसीय मैचों में भारत की कप्तानी की हो। शिवरामकृष्णन जो कि एक लेग स्पिनर थे, उन्होंने कहा कि युवा सचिन तेंदुलकर को महान बनाने में पूर्व कप्तान क्रिस श्रीकांत ने भी कप्तान के तौर पर बहुत अहम भूमिका निभाई थी। नवंबर 1989 में तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू और उसके एक महीने बाद वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया किया था। उस दौरान भारतीय टीम के कप्तान श्रीकांत थे। उन्होंने 16 वर्षीय युवा सचिन तेंदुलकर के ऊपर विश्वास जताया।
शिवरामकृष्णन ने स्टार स्पोर्ट्स तमिल पर क्रिकेट कनेक्टेड शो में कहा कि “चीका (श्रीकांत) एक आक्रामक कप्तान था। उनकी कप्तानी में भारत काफी मैच जीता भी है। प्रदान किए। वह बहुत सक्रिय थे। तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी ने चीका की कप्तानी में ही अपना डेब्यू किया। उस छोटी उम्र में सचिन तेंदुलकर के लिए चीका के प्रोत्साहन ने उन्हें आत्मविश्वास दिया। कप्तान द्वारा सचिन के ऊपर उस आत्मविश्वास के चलते ही वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बन गए। हमारे पास बहुत सारे प्रेरणादायक कप्तान थे। लेकिन मुझे हमेशा लगता है कि चीका अधिक कप्तानी कर सकता था। ”
ऐसे ही कुछ शिवरामकृष्णन के साथ हुआ था। जब ऑस्ट्रेलिया में 1985 विश्व श्रृंखला के दौरान शिवरामकृष्णन को टीम में चुना गया था। वह उस समय सिर्फ 19 साल के थे। चयनकर्ता उनके चयन से खुश नहीं थे, लेकिन महान सुनील गावस्कर ने उनका समर्थन किया और चयनकर्ता को उनके चयन के लिए कहा था। जिसके बाद लेग स्पिनर ने अपने कप्तान को निराश नहीं किया और पांच मैचों में उन्होंने 10 विकेट झटके।
भले ही शिवरामकृष्णन ने भारत के लिए केवल नौ टेस्ट और 16 एकदिवसीय मैच खेले हों। शिवरामकृष्णन ने कहा, “उन्हें शुरुआती सफलता गावस्कर के विश्वास के कारण ही मिली। मैं केवल 19 साल का था और मुझे मार्गदर्शन की जरूरत थी और गावस्कर ने मुझे वह मार्गदर्शन पूरी तरह से दिया।”