कहानी टाइगर हिल जीतने वाले की: मेरे सभी साथी शाहिद हो चुके थे,दुश्मनों को लगा में भी मर चुका हूं…

0
pram vir chakra awardee subedar yogendra singh yadav captured of tiger hill exclusiv interview

दोस्तों यूँ तो आपने कई सौर्य की कहानियां पढ़ी होंगी या सुनी होंगी लेकिन आज हम आपके लिए ऐसी ही कहानियों में से एक सौर्य की कहानी लेकर हाज़िर हैं जिसे पढ़ने के बाद आप भी भौचक्के हो जाओगे। उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले के योगेंद्र सिंह जिन्होंने 15 गोलियां खाई लेकिन हार न मानी। दोस्तों यह कहानी है टाइगर हिल पर कब्जा करने की तो शुरू करते हैं।

21 जवानो के साथ 2 जुलाई की रात को 18 ग्रेनेडियर के जवानों को टाइगर हिल को फतह करने के लिये जिम्मेदारी दी गयी थी यह इतना आसान नहीं था। जवानों का मार्ग दर्शन कर रहे थे लेफ्टिनेंट खुशहाल सिंह रात के समय में जवानों को चढ़ना होता था क्योंकि दिन में उजाला होने के कारण दुश्मन को आने के संकेत मिल जाते। बिना कुछ खाये पिये ये 21 जवान ऊंचे ऊंचे पहाड़ों को रस्सी की सहायता से पार करते रहे जिन्में शामिल थे। बुलंदशहर के योगेंद्र कुमार । तत्पस्यात पाक सेना को जब इनके आने की शंका हुई तो उन्होंने दोनों ओर से फायरिंग शुरू कर दी बता दें कि फायरिंग इतनी तगड़ी थी कि कुछ जवान तो ऊपर चढ़ गए और ऊपर ही रह गए और कुछ जवान जो नीचे थे वे नीचे ही रह गए।बात आगे बढ़ी ओर 4 जुलाई की रात आ गयी जब ये जवान और ऊपर पहुंचे जहां इनको दुश्मनों के 2 बंकर दिखाई पड़े। जो सात जवान ऊपर फायरिंग के दौरान चढ़ गए थे इन्होंने बंकर देखकर फायरिंग करना शुरू कर दिया। इसमें 4 पाक जवान मारे गए । यहां से मात्र60 मीटर की दूरी पर था टाइगर हिल, लेकिन यहां तक पहुंचना इतना आसान नहीं था जब पाक सेना को पता चला कि भारत की आर्मी यहां पहुंच गई है तो उन्होंने जमकर फायरिंग ओर गोलाबारी शुरू करदी।

फिर 5 जुलाई को ये 7 जवान उनके इलाके में घुस गए जहां 5 घण्टे तक भारत पाक सैनिकों के बीच लड़ाई हुई। लेकिन इस काल में भारतीय जवानों के अम्युनेशन खत्म हो रहे थे। और जो जवान नींचे रह गए थे वे भी कोई मदद नहीं कर सकते शिवाय रुमाल में एम्युनिशन के लेकिन रुमाल को उठाना तक लाज़मीं नहीं था वरना जान से हाथ धोना पड़ता।

जब एमयुनेशन खत्म हो गए तो हमारे जवांनो ने कॉर्डिनेशन बैठाया की कोई फायर नहीं करेगा जब फायरिंग रुक गयी तो पाक के जवान यह देखने के लिये आये की कितने दुश्मन आये हैं लेकिन उन्होंने गलती की ओर हमारे जवानों ने उनपर हमला बोल के 7या 8 जवानों को खत्म कर दिया लेकिन उनमें से 1, 2 जवान बच निकले और उन्होंने अन्य टुकड़ी को फौरन बुला लिया जिसमें लगभग 30- 35 सैनिक मौजूद थे। जिनके साथ जबदस्त फायरिंग हुई।

इसके बाद भारतीय जवानों ने फिर से इस कारण फायरिंग रोक दी ताकि दुश्मनों को लोकेशन पता न चले लेकिन इसी बीच एक गलती हो गयी पाक सैनिकों ने हमारी mlg गन की लाइट देख ली और ग्रेनेड हमला कर दिया और ऊपर से बड़े बड़े पत्थर बरसाए जिसमें हमारे जवानों के पैर कट गए उंगली कट गई लेकिन जवानों ने नीचे ने जाने कु बजाय ऊपर ही रहना उचित समझा और लक्ष्य की ओर जान की बाजी लगाते ध्यान दिया।

पाक के जवांनो ने इसके बाद हमारे जवानों को घेर लिया और एक एक करके सबको खत्म कर दिया लेकिन एक जवान ऐसा था जो बेहोश था । उनके कमांडर ने कहा कि इनमें चेक करो कोई जिंदा तो नहीं फिर उन्होंने हमारे हर एक जवान को एक एक गोली मारी जिसमें उन्होंने योगेंद्र सिंग को भी हाथ और पैर पर गोली मारी लेकिन योगेंद्र सिंह ने आह तक नहीं किया।

यह भी पढ़े:Garhwal Rifles: देश रक्षा की कसम खाकर 192 जवान भारतीय थल सेना में हुए शामिल

योगेंद्र को विश्वास था कि जब तक गोली छाती पर नहीं लगी तब तक वो मरेंगे नहीं योगेंद्र चाहते थे कि कैसे भी करके मैं इस घटना की जानकारी अपने दोस्तों तक पहुंचाऊं की ये हमारी पोस्ट पर हमला करने वाले हैं। इसके बाद हुआ क्या की पाक का एक जवान हमारे हथियार लेने के लिए आया और उसने योगेन्द्र के सीने पर बंदूक सेट कर दी लेकिन योगेंद्र के जेब में रखे कुछ सिक्कों ने उनकी मदद करदी।
उसके बाद जब वह जवान आगे बढ़ा तो मैंने उसपर ग्रेनेड से हमला कर दिया और धमाके से पाक आर्मी हिल गयी उन्होंने सोचा कि इंडियन आर्मी सपोर्ट के लिये आ गयी है । लेकिन योगेंद्र बहुत रोये ओर उनके हाथों कु हड्डियां तक टूट गयी थी। मात्र उनकी 19 साल की उम्र थी और ढाई साल का नौकरी तज़ुर्बा। न सर्विस का तज़ुर्बा चारों ओर वर्फ़ थी उनको पता ही नहीं चला कि हिन्द कहाँ है और पाक कहाँ वे पूरी तरह से जख्मी थे।

फिर योगेंद्र एक नाली से नीचे लुढ़क गए जहां कुछ जवान आये और उनको ले गए उन्होंने ऊपर की सारी जानकारी खुशहाल को दी औऱ उनको ज्ञात नहीं था कि आखिर वी हैं कहाँ जब होश आया तो पता चला कि वे श्रीनगर के आर्मी हॉस्पिटल में हैं खबर आई की हमने टाइगर हिल पर फतेह कर ली है।15 गोलियां खाने वाले सूबेदार योगेंद्र सिंह को 15 अगस्त 2000 के दिन परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। ऐसे वीर सपूत को एक बार दिल से सलाम आखिर में जय हिन्द।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here