- यमुना किनारे हज़ारो की संख्या में मज़दूर है खाने पीने के लिए बेसहारा
- प्रशासन की तरफ से मजदूरों के लिए कोई भी मदद नहीं
- पुलिस का कहना कि वो लोग मजदूर नही बल्कि होमलेस है
मुम्बई के बांद्रा स्टेशन से हज़ारो लोगो के इकठ्ठा होने की तस्वीर आयी अभी 2 दिन नही हुए कि दिल्ली में यमुना नदी के किनारे एक घाट पर सैंकड़ो की तादाद में बेसहारा लोग इकठ्ठा हो चुके हैं जब इनके लिए मीडिया ने आवाज़ उठाई तो प्रशाशन को अपनी गलती का एहसास हुआ, वहाँ बैठे लोगो का कहना है कि वो प्रवासी मजदूर है और कई दिनों से जो लोकडौन चल रहा है उस दौरान उनको खाना नहीं मिल रहा है और जो भी एक टाइम का कभी कभार खाना आता है वो सभी मजदूरों के लिए पूरा नहीं हो पाता और पुलिस कर्मी उन्हें वहां से भगा देते हैं, वहां कई लोग ऐसे भी है जिन्हें 2-3 दिनों से खाना नहीं मिल पाया है गौरतलब ये है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि दिल्ली में हर जरूरतमंद को खाने पीने की व्यवस्था सरकार कर रही है लेकिन हैरानी की बात यह है कि सरकार और सरकारी एजेंसीयों की तरफ से वहाँ घाट पर मजदूरों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है, भोजन न मिलने की वजह से अब कई मजदूर बीमार हो गए और अब सरकार से खाने पीने की मांग कर रहे हैं।
तो वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये हनुमान मंदिर के आस के होमलेस लोग है, पुलिस का यह भी कहना है कि इन लोगो मे से कोई भी व्यक्ति मजदूर नहीं है और वो खाने पीने के लिए हनुमान मंदिर पर ही निर्भर है, पुलिस ने ये भी कहा कि जिस शेल्टर में ये लोग रहते थे वहां आग लग गयी थी इसलिए वो सभी लोग यमुना घाट के किनारे जा पहुंचे थे
बता दे कि पहले भी दिल्ली में ISBT के पास ऐसी तस्वीरें नज़र आई थी जिसके बाद सूरत और मुम्बई से भी मजदूरों की भीड़ ने देश को हैरान कर दिया, इससे एक बात तो साफ है कि प्रशाशन और शासन के स्तर पर बड़ी कमी है और ये कमी कोरोना की जंग में देश को बेहद कमजोर बना रही है