पलायन उत्तराखंड के युवाओं पर कितना कुप्रभाव डाल रहा है इस बात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है। कि मात्र 5-7 हज़ार के लिये पहाड़ी नौजवान शहरों में ज़िंदगी के धक्के खा रहे हैं। युवाओं के एक कंधे पर घर की जिम्मेदारियां हैं तो दूसरे में खुद के जीवन में कुछ कर गुजरने के सपने लेकिन ईमानदारी से भरपूर और लगनशील इन उत्तराखंडी युवकों का शहरों में शोषण आम बात है।
इसी बीच एक खबर दिल्ली एनसीआर के शहर ग़ज़िआबाद की है जहां 18 तारीख को विगत परिस्थियों हैं एक पहाड़ी युवक की मौत हो गयी। परिवार को सूचना मिली कि आपके बेटे ने खुदकुशी कर ली है। और यह सुनते ही परिवार में दुख का मातम पसर गया। अल्मोड़ा के थली गाँव के रहने वाला त्रिलोक सिंह गाजियाबाद के एक होटल में काम करता था।
अब आपको पूरी जानकारी से रूबरू करवा देते हैं जी हां दोस्तों अल्मोड़ा के थली गांव का रहने वाला त्रिलोक सिंह ग़ज़िआबाद के एक होटल में काम करता था जहां युवक की संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गयी मौत का अभी सटीक कारण पता नहीं चला है।
पुलिस ने परिजनों को बताया कि युवक ने आत्महत्या कर ली है जबकि परिवार वालों का कुछ अलग ही मानना है। त्रिलोक के परिजनों का मानना है कि जिस होटल में त्रिलोक काम करता था वहीं के मालिक ने त्रिलोक की हत्या करवाई है। जब परिजन दुखद हालात में घटनास्थल पहुंचे तब तक युवक की बॉडी पैक की जा चुकी थी। परिजनों का कहना है कि कुछ दिन पहले यानि 5 अगस्त को होटल वालों ने त्रिलोक को बिना किसी कारण होटल से निकाल दिया। जब त्रिलोक ने अपना वेतन मांगा तो उसको वेतन देने से होटल मालिक बे मना कर दिया।जब त्रिलोक अपने पैसों के खातिर वहीं रुका रहा तब होटल मैनेजर ने कहा कि अगर तेरी जान को कुछ हुआ तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।
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अब आप सोच रहे होंगे कि मृत त्रिलोक की यह बात हमको कैसे पता इसलिये आपको बता दें कि त्रिलोक 11 अगस्त को अपने भाई से मिलने आया और उसको पैसे न मिलने की सारी बात बताई। इसके बाद त्रिलोक 17 अगस्त को अपने पैसे लेने मैनेजर से राजनगर पहुंचा लेकिन 18 अगस्त को उसकी मौत की खबर सामने आ गयी।त्रिलोक के भाई पवन बिष्ट का आरोप है कि मालिक के कहने पर त्रिलोक पर त्रिलोक की हत्या की गई और उसके गुनहगारों को अब हम छोड़ने वाले नहीं इसके बाद ग़ज़िआबाद के कविनगर थाने में त्रिलोक की घटना का मामला दर्ज हो चुका है और मौजूदा जानकारी त्रिलोक की खुद्खुशी पर नहीं हत्या की ओर इशारा कर रही है। वहीं उत्तराखंड वासियों के अंदर भी इस घटना को लेकर आक्रोश साफ देखा जा सकता है।
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