उत्तराखंड की सरकार अब धीरे-धीरे राज्य में लुप्त हो रही नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में तेजी लाने की कोशिश कर रही है। देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदियों को उनके पुराने स्वरूप में लौटाने का प्रयास किया जा रहा है। उसी तरह अब से हर जिले की प्रमुख जो नदियां हैं उन सबको सहेजा जाएगा। रिस्पना नदी के हर जिले में प्रमुख नदियों को मिलाकर कुल 13 नदियों को पुनर्जीवित किया जाने का प्रयास है।
इस परियोजना के लिए सरकार ने 90 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह बजट कैंपा के फंड से खर्च किया जाएगा और जो प्रस्ताव तैयार है उसे वन विभाग ने मंजूरी के लिए केंद्र को भेज दिया है। वन और श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बड़ी खबर ये दी है कि इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है।
योजना में जिन नदियों को शामिल किया गया है उनमें खोह, गरुड़गंगा, मालन, पिलखर, गंडक, सुसवा, हेवल, यक्षवती, नंधौर, ढेला, कल्याणी, भेला और बिंदाल नदी शामिल है। इस तरह राज्य के 13 जिलों में 13 प्रमुख नदियों का पुनर्जीवन और संरक्षण होगा। एक वक्त था जब ये नदियां गांवों के जीवनयापन का एक ही साधन थी, बरसात कम होने के कारण धीरे-धीरे इसका स्वरूप समाप्त होता चला गया और कई जगह तो ये सिर्फ नाले में तब्दील हो गई।
अब उत्तराखंड वन विभाग ने नदियों के संरक्षण के लिए आगे आया है। और इस योजना के तहत इन नदियों के उद्गम स्थलों से लेकर उत्तराखंड में इनकी सीमा खत्म होने तक दोनों और पौधरोपण भी किया जाएगा। यहां चेकडैम के आलावा दूसरे तरीकों से जल का संचय भी किया जाएगा। पहले इन नदियों को उनका पुराना स्वरूप लौटाया जाएगा और उसके बाद ही योजना के दूसरे चरण में इन नदियों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की गतिविधियां भी कराई जाएंगी।
वन एवं श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक इस परियोजना के लिए 90 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। ये बजट कैंपा फंड से खर्च होना है। जिसके लिए केंद्र की मंजूरी मिलना जरूरी है। अभी फिलहाल इन नदियों के संरक्षण के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। बाद में यहां पर्यटन संबंधी गतिविधियों का भी संचालन किया जाएगा। परियोजना की सफलता के लिये सरकार के साथ ही इसमें आम जनता की भागीदारी आवश्यक रहेगी।और ये सभी लोगों के लिए खुशी की बात साबित होगी कि अब नदियों को पुनर्जीवित किया जाने का प्रयास किया जा रहा है।
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